ऐसे लोगों को नहीं रहती जिंदगी में कोई कमी
जिस तरह से कुंडली में ग्रहों के मिलन से कई तरह के योग बनते हैं उसी तरह से हाथ में भी रेखाएं योग बनाती हैं। आचार्य दिनेश भारद्वाज के मुताबिक हाथ में रेखाओं के योग विभिन्न पर्वतों के हिसाब से...
जिस तरह से कुंडली में ग्रहों के मिलन से कई तरह के योग बनते हैं उसी तरह से हाथ में भी रेखाएं योग बनाती हैं। आचार्य दिनेश भारद्वाज के मुताबिक हाथ में रेखाओं के योग विभिन्न पर्वतों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं। आचार्य दिनेश के अनुसार यदि हथेली के बीच का हिस्सा दबा हुआ गहरा हो, सूर्य और गुरु पर्वत पुष्ट, मजबूत और उभरे हुए हो, भाग्य रेखा शनि पर्वत के मूल को छूती हो तो हाथ में शुभकर्तरी योग बनता है। जिस व्यक्ति के हाथ में यह योग होता है वह तेजस्वी और चुंबकीय व्यक्तित्व का धनी होता है। उसके आसपास ऐश्वर्य और भौतिक सुख सुविधाएं चली आती हैं। एक से अधिक साधनों से आय प्राप्त करता है तथा अपने पूर्वजों से मिली संपत्ति में वृद्धि करने वाला होता है। शारीरिक दृष्टि से ऐसा व्यक्ति आकर्षक होता है। विपरीत लिंगी व्यक्तियों की इनके जीवन में भरमार होती है।
इसी तरह दोनों हाथों में भाग्य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर सीधी शनि पर्वत पर जाए, सूर्य पर्वत पूर्ण विकसित, लालिमा लिए हुए हो और उस पर सूर्य रेखा भी बिना कटी-फटी, पतली और स्पष्ट हो, साथ में मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा तथा आयु रेखा पूरी तरह से साफ हो तो इससे गजलक्ष्मी योग बनता है। ऐसे योग वाला व्यक्ति आम परिवार में पैदा होकर भी जीवन में सर्वोच्च ऊंचाइयों तक पहुंचता है। इन लोगों के जीवन में सम्मान की कोई कमी नहीं होती और वह समस्त ऐश्यर्व, सुख भोगता है। ऐसे लोगों को समुद्र पार व्यापार होता है। यदि नौकरीपेशा हैं तो उच्च पदों पर भी आसानी से पहुंच जाते हैं। जीवन में कोई अभाव नहीं रहता और सुंदर जीवनसाथी का साथ मिलता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)