जानिए, कहां से शुरू होती है हाथों में सूर्य रेखा
हस्तरेखा को रवि रेखा और तेजस्वी रेखा के नाम से भी जाना जाता है। यह भाग्य रेखा से होने वाले उज्जवल भविष्य या सौभाग्य को ठीक उसी प्रकार चमका देती है जिस प्रकार सूर्य अपने प्रकाश से रात का...
हस्तरेखा को रवि रेखा और तेजस्वी रेखा के नाम से भी जाना जाता है। यह भाग्य रेखा से होने वाले उज्जवल भविष्य या सौभाग्य को ठीक उसी प्रकार चमका देती है जिस प्रकार सूर्य अपने प्रकाश से रात का अंधेरा दूर कर देता है। यदि भाग्यरेखा के साथ सूर्यरेखा भी अधिक बलवान हो तो वह ‘सोने पे सुहागा’ जैसी होती है। इससे भाग्य प्रबल हो जाता है। व्यक्ति के जीवन में दिन-रात तरक्की होती है।
आचार्य दिनेश भारद्वाज के अनुसार यदि किसी के हाथ में भाग्य-रेखा कमजोर हो या वह पूरी तरह से अनुपस्थित हो, लेकिन सुन्दर, छोटी सूर्य रेखा के प्रभाव से वह व्यक्ति बहुत कुछ पा सकता है। ऐसे व्यक्ति में धनवान होने, जनता में सम्मान पाने की या कोई बड़ा नेता बनने की इच्छा बनी रहती है। वह दस्तकार न होकर भी दस्तकारों से प्रेम रखता है। किसी विषय में पूर्ण ज्ञान रखते हुए भी वह अपनी योग्यता दूसरों पर प्रकट नहीं कर पाता। साधारण शुभ भाग्यरेखा के साथ सूर्य रेखा अधिक उपयोगी समझी जाती है। इसमें संदेह नहीं कि जिस समय सूर्य रेखा मनुष्य के हाथ में आरम्भ होती है उसी समय से उसके भाग्य में कुछ विशेष सुधार होने लगता है। आचार्य भारद्वाज के अनुसार किस भी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा सात स्थानों से शुरू हो सकती है। सूर्य रेखा के शुरू होने के हिसाब से उसका असर भी अलग-अलग होता है। इस रेखा के शुरू होने के जो स्थान जातकों के हाथों में मिलते हैं उसमें हैं, मणिबन्ध या उसके समीप से, चन्द्रक्षेत्र से आरम्भ होकर सूर्य की उंगली की ओर, जीवन रेखा से, भाग्य रेखा से, मंगलक्षेत्र या हथेली के मध्यभाग से, मस्तिष्क रेखा को स्पर्श करते हुए और हृदयरेखा को स्पर्श करते हुए सूर्य स्थान तक जाती है। ये सभी रेखाएं व्यक्तियों के हाथों में दिखाई देती है, लेकिन सब में सूर्य रेखा के शुरू होने का स्थान अलग रहता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)
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