जानिए गुरु पर्वत के राज, कैसे बदलते हैं जिंदगी
हस्तरेखा विज्ञान में गुरु पर्वत का स्थान पहली उंगली अर्थात तर्जनी और उसके बगल की दूसरी उंगली यानी मध्यमा के बीच होता है। इस स्थान पर बना उभार हाथ के किनारे से होकर बनता है। इस पर्वत को छूती हुई...
हस्तरेखा विज्ञान में गुरु पर्वत का स्थान पहली उंगली अर्थात तर्जनी और उसके बगल की दूसरी उंगली यानी मध्यमा के बीच होता है। इस स्थान पर बना उभार हाथ के किनारे से होकर बनता है। इस पर्वत को छूती हुई मध्यमा के ठीक बीचोबीचे मस्तिष्क रेखा जाती है। पर्वत के उभार या उन्नत स्थिति के आधार पर ही व्यक्ति के ऊपर बृहस्पति ग्रह की कृपा का अनुमान लगाया जा सकता है। गुरु पर्वत पर विभिन्न किस्म के चिन्ह जैसे त्रिभुज, क्रॉस, बिंदु या तिल, वृत्त, वर्ग, द्वीप, जाल, तारे की स्थिति में भी व्यक्ति कई तरह के प्रभाव को अनुभव करता है। जानिए किसका क्या होता है प्रभाव-
- त्रिभुजः गुरु पर्वत पर त्रिभुज बने होने पर व्यक्ति में कूटनीज्ञिता के गुण आ जाते हैं और वह अपनी उन्नति के लिए अति महत्वाकांक्षी बन जाता है। उसकी महत्वाकांक्षा इस कदर बढ़ जाती है कि कई बार उसमें हद से ज्यादा अभिमान तक आ जाता है और यही त्रिभुज दोष की स्थितियां भी पैदा कर देता है।
- वर्गः गुरु पर्वत पर वर्ग का होना बहुत ही शुभ माना गया है। जिस किसी व्यक्ति की हथेली पर यह होता है वह उच्च पद को अपनी बौद्धिकता और योग्यता के बल पर हासिल करने में सफल हो जाता है, चाहे वह साधारण परिवार का ही सदस्य क्यों नहीं हो। ऐसे व्यक्ति कुशल एवं सफल प्रशासक बन सकते हैं और सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किए जाते हैं।
- वृत्तः यदि किसी गुरु पर्वत पर छोटा से गोल बना हो अर्थात वृत्त हो तो वह अपने प्रयत्नों से उच्च पद को हासिल करने में सफल होता है। ऐस लोगों को उनके जीवनसाथी के परिवार से काफी मदद मिलती है।
- जालः इसका गुरु पर्वत पर बना होनेा अशुभ माना गया है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति निर्दयी, स्वार्थी और अभिमानी किस्म होता है।
- तारेः गुरु पर्वत पर तारे चिन्ह दिखने का मतलब है वह व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी है। वह उच्च पद को हासिल कर लेता है और पूरी तरह से पारिवारिक और सामाजिक सरोकार की भावना से भी भरा होता है।
- तिलः गुरु पर्वत पर सफेद, लाल, पीले या काले रंग के बिंदु या तिल हो सकते हैं। सफेद व्यक्ति की उन्नति, लाल रोग, पीला रक्ताल्पता और काला लक्ष्मी अर्थात धनागमन को दर्शाता है। अर्थात ये तिल अगर शुभ होते हैं तो अशुभ भी हो सकते हैं।
- क्रासः गुरु पर्वत पर क्रास बने होने का अर्थ है वैचारिकता को महत्व देना। ऐसे व्यक्ति सोच-विचार कर ही कोई कार्य करते हैं। इनका दांपत्य जीवन काफी सुखद होता है और जीवनसाथी भी अनुकूल शिक्षा के होते हैं।
- द्वीपः गुरु पर्वत पर द्वीप बने होने का अर्थ व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं तथा इन्हें अपनाने से अपेक्षित परिणाम मिलेगा। ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)