Hindi Newsधर्म न्यूज़On 17 September Anant Chaturdashi 2024 worship Lord Vishnu and Ganesha with this vidhi

अनन्त चतुर्दशी 17 सितंबर को, इस विधि से करें भगवान विष्णु व गणेश जी की पूजा

  • Anant Chaturdashi 2024 : अनंत चतुर्दशी इस साल 17 सितंबर, 2024 को मनायी जाएगी। इस दिन कुछ श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु व गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 15 Sep 2024 07:25 AM
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Anant Chaturdashi 2024 : भाद्रपद महीने में अनंत चतुर्दशी पड़ती है। हिन्दू धर्म में अनंत चतुर्दशी का खास महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान श्री गणेश का विसर्जन भी किया जाता है। इस दिन कुछ श्रद्धालु व्रत भी रखते हैं। इस दिन भगवान विष्णु व गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन विश्वकर्मा पूजा भी पड़ रही है। आइए जानते हैं पंडित जी से जानते हैं अनंत चतुर्दशी की तिथि, उपाय साथ ही भगवान विष्णु व गजानन की पूजा विधि-

भगवान विष्णु की पूजा विधि- अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूरे विधि-विधान से पंचामृत, मौसमी फल एवं तुलसीदल से पूजा की जाती है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी मनायी जाती है। इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इसके साथ इस दिन दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का समापन भी होता है। हालांकि, अलग-अलग पूजा समितियां अपने सुविधा अनुसार गणपति विसर्जन करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाता है।

अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त

पंडित तरुण झा ने बताया कि भगवान विष्णु को अतिप्रिय अनंत चतुर्दशी का व्रत व पूजा एवं विश्वकर्मा पूजा व गणपति विसर्जन भी मंगलवार को ही होगा। उन्होंने बताया अनंत पूजा के दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना अति शुभ माना जाता है। अनंत की 14 गांठों को 14 लोकों का प्रतीक माना जाता है।

दृक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर को दोपहर 03:10 बजे हो रही है। समापन 17 सितंबर दोपहर 11:44 बजे होगा। इस दिन अनन्त चतुर्दशी की पूजा का मुहूर्त सुबह 06:07 से दोपहर 11:44 बजे तक रहेगा, जिसकी कुल अवधि 05 घण्टे 37 मिनट्स रहेगी। 

गणेश जी की पूजा-विधि 

1- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें

2- गणेश जी को प्रणाम करें

3- गणेश जी का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

4- अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें

5- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

6- श्री गणेश चालीसा का पाठ करें

7- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें

8- भोग लगाएं 

9- अंत में क्षमा प्रार्थना करें

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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