


माता लक्ष्मी धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं। उनका पूजन विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर किया जाता है ताकि जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। वे विष्णु जी की पत्नी और 'श्री' स्वरूप मानी जाती हैं, जो हमें जीवन में ऐश्वर्य और शांति का आशीर्वाद देती हैं।
शेयर करेंओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।

हिंदू धर्म में तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है। तुलसी को घर में शुभता, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती और वातावरण में शांति बनी रहती है।

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