Karwa Chauth, करवा चौथ: आज 1 घंटे 14 मिनट का पूजा मुहूर्त, जानें कब दिखेगा चांद, पूजा विधि, मंत्र
संक्षेप: Karwa Chauth Time 2025: चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 07:38 मिनट तक रहेगी। इस साल करवा चौथ पर शाम 05:32 मिनट से रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा व शाम 05:41 मिनट तक सिद्धि योग बन रहा है।

Karwa Chauth Time 2025, करवा चौथ: करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस साल का करवा चौथ 10 अक्टूबर को है। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 07:38 मिनट तक रहेगी। इस साल करवा चौथ पर शाम 05:32 मिनट से रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा व शाम 05:41 मिनट तक सिद्धि योग बन रहा है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं, जिससे चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
करवा चौथ: सिर्फ 1 घंटे 14 मिनट का मुहूर्त
करवा चौथ पूजा मुहूर्त शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक
अवधि - 01 घण्टा 14 मिनट्स
सुबह से शाम तक पूजा के मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:30 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:45 ए एम से 12:31 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:04 पी एम से 02:51 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:57 पी एम से 06:22 पी एम
अमृत काल- 03:22 पी एम से 04:48 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:43 पी एम से 12:33 ए एम, अक्टूबर 11
लाभ - उन्नति 07:46 ए एम से 09:13 ए एम
लाभ - उन्नति 07:46 ए एम से 09:13 ए एम
चर - सामान्य 04:30 पी एम से 05:57 पी एम
कब दिखेगा चांद
करवा चौथ पर चांद निकलने का समय 08:13 पी एम बजे तक है। शहर अनुसार, चांद दिखने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।
पूजा-विधि: मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय को स्थापित करने के बाद विधि विधान से उनकी पूजा करें। इसके बाद व्रत की कथा सुनें। करवा, चलनी, थाली, लोटा सहित अन्य सामग्री से पूजन करें। चंद्र देव को अर्घ्य दें। इस दौरान चलनी से अपने पति को देख आरती उतारें, फिर उनके हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का समापन करें।
करवा चौथ का मंत्र
1- नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥
2- मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर
श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
3- ऊँ अमृतांदाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तत्रो सोम: प्रचोदयात
4- करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा।
ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥
इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे।
सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।
एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया।
सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम।
रूपं देहि, जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि।।





