
करवा चौथ व्रत में शाम को 5 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा पूजा का शुभ मुहूर्त, 8 बजकर 14 मिनट पर दिखेगा चांद
संक्षेप: करवा चौथ भारत के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। विशेषतः उत्तर भारत में यह त्योहार बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की स्थिरता के लिए रखती हैं।
Karwa Chauth Vrat : करवा चौथ भारत के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। विशेषतः उत्तर भारत में यह त्योहार बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की स्थिरता के लिए रखती हैं। दिन भर निर्जला व्रत रहने के बाद रात को चंद्रमा का दर्शन करके ही व्रत खोलना होता है। इस वर्ष 10 अक्टूबर यानी आज करवा चौथ है। व्रत का आरंभ सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करने से होता है और दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है। अंत में चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलने की परंपरा है।

व्रत का शुभ मुहूर्त और चांद उदय समय
इस वर्ष करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा, कथा और व्रत संबंधी अनुष्ठान सबसे अधिक प्रभावी और शुभ माने जाते हैं। पंचांग के अनुसार चंद्रमा का उदय यानी चांद निकलने का समय रात 8:14 बजे है। चांद के दर्शन और अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण होता है।
व्रत से पहले सरगी लें- व्रत शुरू होने से पहले, सुबह-सवेरे सास अपनी बहू को सरगी देती है, जिसमें दूध, सेवई, मिठाई, फल आदि शामिल होते हैं। इस सरगी को ग्रहण करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है।
पूजा विधि-
सरगी ग्रहण करने के बाद व्रत संकल्प लें।
शुद्ध स्थान पर आसन बिछाएं और पूजा की व्यवस्था करें।
भगवान गणेश, माता पार्वती तथा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित करें।
चंदन, गुलाल, सिंदूर, अक्षत, फूल, घी, पुष्प, दीपक आदि से पूजा करें।
कथा और स्तुति गाएं, व्रत की कथा सुने या सुनाएं।
रात्रि में चांद निकलने की प्रतीक्षा करें।
चांद निकलने के बाद पूजा करें और व्रत का पारण करें।
पूजा सामग्री लिस्ट-
चंदन, गुड़/शक्कर, अगरबत्ती, दीपक, घी, रुई, फूल, पुष्प, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, हल्दी, मिठाई, गुड़-शक्कर मिश्रित प्रसाद, गंगाजल, जल की लोटा, मिट्टी का करवा (ढक्कन सहित), चुनरी, चूड़ी, बिंदी, लकड़ी का आसन, चलनी, दक्षिणा (दान) के लिए पैसे इत्यादि।





