सुहागिनों ने तोड़ा व्रत
चंद्रमा की पूजा के बाद अपने पति के दर्शन सभी सुहागिनों ने किए। फिर पति के हाथों द्वारा जल ग्रहण करने के बाद अपने व्रत का पारण किया। इसके बाद घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त कर व्रत का समापन किया।

Karva Chauth: सुहाग का प्रतीक माना जाता है करवा चौथ का व्रत। मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा चौथ के दिन मां गौरी और गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है। अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत हर साल रखती हैं। यह व्रत निर्जला व्रत है, जो बेहद कठिन माना जाता है। करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सरगी से होती है और इसका पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रख संध्या के समय शुभ मुहूर्त में व्रत कथा का पाठ करती हैं। फिर चंद्रोदय होने पर चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के पाश्चत्य ही अपना व्रत खोलती हैं।
चंद्रमा की पूजा के बाद अपने पति के दर्शन सभी सुहागिनों ने किए। फिर पति के हाथों द्वारा जल ग्रहण करने के बाद अपने व्रत का पारण किया। इसके बाद घर के सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त कर व्रत का समापन किया।
देश के अधिकतर शहरों में चांद नजर आ चुका है। सभी सुहागिनें चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजन सम्पन्न कर रही हैं।
दिल्ली, नोएडा, उत्तराखंड और लखनऊ में चांद नजर या चुका है। सभी सुहागिन महिलाएं सज-धजकर चंद्रमा दर्शन कर रही हैं।
करवा चौथ पूजा की कथा पाठ करने के बाद पवित्र जल में कच्चे दूध की कुछ बूंदें मिलाकर चंद्र देव को अर्घ्य दें। कलश में चांदी का सिक्का, अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देने की मान्यता है। फिर छलनी की ओट में घी का दीपक रखकर चंद्रमा के दर्शन करें। इसके बाद चंद्रमा को फूल, अक्षत और मिठाई छड़ाएं। अब छलनी से अपनी पति का चेहरा देखें। फिर पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
घंटों की बेसब्री बस होने वाली है दूर। जल्द होगा चांद का दीदार। व्रती महिलाएं करेंगी चंद्र दर्शन।
कुछ ही देर में शुरू होने वाली है करवा चौथ की पूजा। वैवाहिक जीवन को मधुर बनाने के लिए जरूर करें ये उपाय
करवा चौथ पर सुहागिनें कर लें ये काम, होगी धन वृद्धि, बढ़ेगा अखंड सुहाग का वरदान
आज करवा चौथ पर संध्या के समय 5 बजे के बाद बन रहा पूजा का शुभ मुहूर्त। पूजा की सही व संपूर्ण विधि जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर करें क्लिक-
Karwa Vidhi: करवा चौथ संध्या पूजन संपूर्ण विधि, नोट कर लें उत्तम मुहूर्त और पूजा सामग्री
श्रृंगार सामान का दान
सुहागिन महिलाओं को करवा चौथ के दिन किसी को भी अपने सुहाग या श्रृंगार से जुड़ी चीजें दान में नहीं चाहिए। आज भूलकर भी किसी के साथ अपना श्रृंगार का सामान शेयर न करें।
सफेद वस्तुओं का दान
सफेद रंग की वस्तुओं का दान आज करवा चौथ के दिन करना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए आज सफेद रंग के वस्त्र, चीनी, दही, चावल, दूध व मिठाई आदि का दान न करें।
करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन तुंगभद्रा नदी के किनारे रहती थी। एक दिन नदी के किनारे एक मगरमच्छ ने धोबिन के पति को जकड़ लिया। पति के चिल्लाने की आवाज सुनकर धोबिन ने मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया। करवा का ये साहस देखकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया। फिर उसके बाद पति को दीर्घायु होने का वरदान भी दिया।
अहमदाबाद- 8 बजकर 50 मिनट पर
आगरा- 8 बजकर 17 मिनट पर
इंदौर- 8 बजकर 38 मिनट पर
कानपूर- 8 बजकर 15 मिनट पर
गंगानगर- 8 बजकर 26 मिनट पर
गाजियाबाद- 8 बजकर 14 मिनट पर
गुरुग्राम- 8 बजकर 16 मिनट पर
चंड़ीगढ़- 8 बजकर 10 मिनट पर
चेन्नई- 8 बजकर 43 मिनट पर
जम्मू- 8 बजकर 12 मिनट पर
जयपुर- 8 बजकर 26 मिनट पर
जोधपुर- 8 बजकर 29 मिनट पर
दिल्ली- 8 बजकर 16 मिनट पर
देहरादून- 8 बजकर 07 मिनट पर
नोएडा- 8 बजकर 15 मिनट पर
पटना- 7 बजकर 51 मिनट पर
पटियाला- 8 बजकर 13 मिनट पर
प्रयागराज- 8 बजकर 5 मिनट पर
फरीदाबाद- 8 बजकर 15 मिनट पर
बरेली- 8 बजकर 08 मिनट पर
बैंगलोर- 8 बजकर 55 मिनट पर
मथुरा- 8 बजकर 16 मिनट पर
मुंबई- रात 9 बजकर 01 मिनट पर
मेरठ- 8 बजकर 12 मिनट पर
लखनऊ- 8 बजकर 06 मिनट पर
लुधियाना- 8 बजकर 15 मिनट पर
वाराणसी- 8 बजकर 2 मिनट पर
शिमला- 8 बजकर 9 मिनट पर
सहारनपुर- 8 बजकर 11 मिनट पर
सोनीपत- 8 बजकर 18 मिनट पर
हरिद्वार- 8 बजकर 8 मिनट पर
एक बार की बात है पांडव पुत्र अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने गए थे। उसी वक्त पांडवों पर बड़ी विपदा या पड़ी। तब भयभीत और चिंतित द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया और उनसे आन पड़ी इस संकट की घड़ी के निवारण के लिए उपाय पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ का व्रत करने को कहा था। मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत रखा था।
आज करवा चौथ के शुभ मौके पर पति-पत्नी और प्रेमी-प्रेमिकाएं एक दूसरे को इन खूबसूरत और रोमांटिक मैसेज के जरिए बधाई दे सकते हैं।
प्यार भरे इन 8 मैसेज से अपने पार्टनर का करवा चौथ पर जीत लें दिल, दें बधाई
5 रोमांटिक मैसेज, शायरी और शुभकामनाओं से पार्टनर को करवा चौथ की दें बधाई
Karwa chauth 2023 vrat katha: आज करवा चौथ पर पढ़ें साहूकार के सात लड़के वाली यह पौराणिक संपूर्ण कथा
आज दोपहर 12 बजे से 1 बजकर 31 मिनट तक राहुकाल रहने वाला है। राहुकाल के दौरान पूजा-पाठ करने की मनाही होती है।
सुबह करवा चौथ पूजा के लिए आज शुभ मुहूर्त 07:55 बजे से 09:18 बजे तक रहेगा। इसके बाद सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक शुभ चौघड़िया में पूजा का मुहूर्त रहेगा। शाम की पूजा के लिए लाभ चौघड़िया 04:13 बजे से 05:36 बजे तक रहने वाला है।
शाम के वक्त 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 48 मिनट तक करवा चौथ पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेगा। शाम 7:09 बजे के बाद से किसी भी समय व्रती महिलाएं करवा चौथ की पूजा कर सकती हैं।
सुहाग की रक्षा के लिए सुहागिनें करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन प्रेंग्नेंसी में महिलाएं फलाहार व्रत रख सकती हैं। वहीं, अगर महिलाओं को करवा चौथ व्रत में पीरीयड्स आ जाए, फिर भी वह अपना व्रत पूरा कर सकती हैं। कहा जाता है कि पीरीयड्स के दौरान पूजा-पाठ का सामान स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस दिन करवा माता का मन ही मन में स्मरण करें और घर के अन्य सदस्यों से पूजा करवा सकती हैं।
करवा चौथ के दिन शिव परिवार और करवा माता की पूजा की जाती है। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है।
गणेश मंत्र- ॐ गणेशाय नमः
शिव मंत्र- ॐ नमः शिवाय
मां पार्वती जी का मंत्र- ॐ शिवायै नमः
चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय मंत्र- ॐ सोमाय नमः
करवा चौथ की पूजा के दौरान थाली फेरते समय नीचे बताई गयी लाइनें बोलने की मान्यता है।
बहन पराई वीरां, चंद चढ़े तां पाणी पीणा
करवा चौथ के दिन संध्या के समय कथा-पाठ करने के बाद कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। फिर इसके बाद पति के दर्शन कर जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है।
नई दिल्ली - रात 8:15 बजे
लखनऊ- 8:05 बजे
नोएडा- रात 8:14 बजे
गुरुग्राम- रात 8:16 बजे
मुंबई - रात 8:59 बजे
चेन्नई- रात 8:43 बजे
आगरा - रात 8:16 बजे
कोलकाता- शाम 7:46 बजे
भोपाल - रात 8:29 बजे
अलीगढ़ - रात 8:13 बजे
हिमाचल प्रदेश - रात 8:07 बजे
जयपुर 8:26 बजे
पटना- शाम 7:51 बजे
चंडीगढ़ - रात 8:10 बजे
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि कर सूर्योदय से पहले सरगी का सेवन करें। देवी देवताओं को प्रणाम कर व्रत रखने का संकल्प लें। करवा चौथ मैं विशेष तौर पर संध्या पूजन की जाती है। शाम से पहले ही गेरू से पूजा स्थान पर फलक बना लें। फिर चावल के आटे से फलक पर करवा का चित्र बनाएं। इसके बजाय आप प्रिंटेड कैलेंडर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। संध्या के समय शुभ मुहूर्त में फलक के स्थान पर लकड़ी का आसन स्थापित करें। अब चौक पर भगवान शिव और मां पार्वती के गोद में बैठे प्रभु गणेश के चित्र की स्थापना करें। मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। अब भगवान श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्र देव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें। फिर छलनी की ओट से चंद्रमा को देखें और उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेना न भूलें
करवा चौथ में भगवान शिव, मां गौरी और गणेश जी की पूजा करने का विधान है। वहीं, मिट्टी के करवा, जिसमें टोटी लगी होती है, उसे गणेश जी की सूंड माना जाता है। करवा चौथ पूजा के दौरान इसी करवा में जल भरकर पूजन का महत्व है। वहीं, करवा चौथ की पूजा में चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी में दीपक रख चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात अपने पति का चेहरा देखती है। मान्यता है ऐसा करने से नेगेटिविटी दूर होती है और पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है। कांस की सींक शक्ति का प्रतीक है, जिसे करवा की टोटी में डालकर पूजा की जाती है।
एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है। भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भी दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है।
तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है।
एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आर्शिवाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं।
ऐसी मान्यता है की करवा चौथ का व्रत पार्वती माता ने भगवान शिव के लिए और द्रौपदी ने पांडवों के लिए कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा था। करवा चौथ व्रत को विधिपूर्वक सम्पन्न करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त होता है। करवा माता उनके सुहाग की सदैव रक्षा कर अपना आशीर्वाद देती हैं।
मिट्टी का करवा
आटे से बना दीपक
कलश
छलनी
फूल
अक्षत
कुमकुम
मिठाई
इस साल करवा चौथ व्रत 1 नवंबर को शुभ योगों में रखा जाएगा। करवा चौथ 2023 के व्रत की अवधि 13 घंटे 42 मिनट रहने वाली है। सर्योदय के साथ सुबह 6 बजकर 33 मिनट से व्रत का आरंभ होगा, जो रात 8 बजकर 15 मिनट के आस-पास चंद्रोदय पूजन के बाद समाप्त होगा।
इस व्रत में न तो अन्न और न ही जल का सेवन किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत जहां ब्रह्म मुहूर्त से होती है वहीं, चंद्र दर्शन और चंद्र पूजा के बाद इसकी समाप्ति होती है। व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजन के बाद ही किया जाता है। वहीं, व्रत पारण के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें
2. मंदिर और घर की साफ-सफाई करें
3. सभी देवी-देवताओं की विधि-विधान पूजा करें
4. करवा चौथ व्रत रखने का संकल्प लें
5. संध्या के समय शुभ मुहूर्त में करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें
6. फिर चंद्रमा की पूजा करें
7. चंद्र दर्शन करने के बाद अर्घ्य दें
8. पति को छलनी से देखकर आरती उतारें
9. फिर पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है।
मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन, पान, कांस की सींक, कलश, 8 पूरियों की अठावरी, अक्षत, फल, चंदन, श्रृंगार का सामान, व्रत कथा किताब, पीली मिट्टी, फूल, हल्दी, लकड़ी का आसान, सिंदूर, देसी घी, कच्चा दूध, दही, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, मौली, मिठाई, छलनी, दीपक
करवा चौथ का दिन सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन कुछ कामों को करना अशुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ के दिन भूलकर भी काले, भूरे, नीले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इस दिन लाल, गुलाबी और हरें रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। वहीं, इस दिन अपने पति और घर के बड़े-बुजुर्गों को दुख पहुंचाने या निरादर करने से भी बचना चाहिए।
16 शृंगार
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं का व्रत है। इसलिए इस दिन 16 शृंगार करने का विशेष महत्व है। पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखा जाता है। करवा चौथ पर महिलाएं सुहाग से संबंधित चीजें पहनकर सज-धजकर तैयार होती हैं और करवा चौथ की पूजा करती हैं।
मेहंदी लगाएं
करवा चौथ पर मेहंदी लगाना सुहागिन महिलाओं के लिए जरूरी माना जाता है। हर शुभ काम में सुहागिनें मेहंदी लगाना पसंद करती हैं। इसलिए अगर आप करवा चौथ पर व्रत रखें या न रखें इस दिन मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है।
करवा चौथ के व्रत की शुरुआत सुबह की सरगी खाकर किया जाता है। इसलिए अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं तो ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी का सेवन करें। मान्यता है की सरगी का सेवन दिन की शुरुआत होने से पहले यानि सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए। वहीं, सांस द्वारा बहु को सरगी देने की परंपरा है। सरगी में 7 चीजों का सेवन करने का महत्व माना गया है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:44 से रात 07:02 तक, 01 नवंबर
कल करवा चौथ पर मृगशिरा नक्षत्र, बुधादित्य योग के साथ शिव-परिघ व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। वहीं, चंद्रमा अपनी उच्चराशि वृषभ में विराजमान रहेगें। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय और पति की आयु लंबी होती है।
करवा चौथ का व्रत कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हर साल रखा जाता है। इस साल करवा चौथ बुधवार यानि 1 नवंबर को पड़ रहा है। सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से व्रत का संकल्प लेकर सुहाग की लंबी उम्र की कामना करेंगी।