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Kajari Teej 2024: अगस्त में कजरी तीज कब है? जानें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

  • Kajari Teej 2024 Date in India: कजरी तीज का त्योहार यूपी, बिहार, राजस्थान और एमपी में धूमधाम के साथ मानाया जाता है। जानें इस साल कब है कजरी तीज-

Saumya Tiwari नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीम  Thu, 22 Aug 2024 04:29 AM
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Kajari Teej 2024: हिंदू धर्म में तीज का विशेष महत्व होता है। तीज का व्रत भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। हर साल भाद्रपद या भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। कजरी तीज को बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि कजरी तीज के दिन भगवान शंकर व माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है।

हरियाली तीज के 15 दिन बाद आती है कजरी तीज-

सावन और भादो महीने में तीजों का पर्व आता है। हिंदू धर्म में हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज धूमधाम से मनाई जाती हैं। कजरी तीज से पहले हरियाली तीज आती है। इस साल हरियाली तीज 07 अगस्त 2024 को है। हरियाली तीज से 15 दिनों के बाद कजरी तीज मनाई जाती है। इस साल कजरी तीज 22 अगस्त 2024 को है।

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कजरी तीज का शुभ मुहूर्त -

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 21 अगस्त को शाम 05 बजकर 06 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि अगले दिन 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, कजरी तीज व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा।

कजरी तीज पूजा विधि-

कजरी तीज के दिन व्रती महिलाएं स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाती हैं या पूजन में मार्केट से लाई गई मूर्ति का प्रयोग करती हैं। माता गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। इसके बाद शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। माता गौरी को सुहान की सभी वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाया जाता है। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करती हैं और शिव-गौरी की कथा सुनने का विधान है। इस दिन गाय की पूजा करना अति शुभ माना गया है। कई जगहों पर महिलाएं गाय को रोटी व गुड़ चना खिलाकर व्रत पारण करती हैं।

चंद्रोदय के बाद खोला जाता है व्रत -

कजरी तीज का व्रत चंद्र दर्शन के बाद खोला जाता है। इस व्रत में जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं।

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)

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