मिथिला पंचांग और बनारस पंचांग में अलग-अलग दिन है जीवित्पुत्रिका व्रत
- संतान की सलामती के लिए जीवित्पुत्रिका पुत्र रखते हैं, जो अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है। इस साल यह किस दिन रखा जा रहा है यहां जानें
आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी को ही जिउतिया व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। अष्टमी तिथि पर व्रत शुरू हो जाता है और फिर नवमी के दिन इसका पारण किया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। पूरे दिन बिना अन्न, जल के रहा जाता है। इस व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है और कथा सुनी जाती है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाने की विधि और तिथि भी अलग-अलग है। मिथिला मेंएक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि से ही यह व्रत शुरू हो जाता है। इस दिन महिलाएं सरगही-ओठगन करती हैं। फिर अष्टमी को व्रत रखती हैं और अगले दिन सरगही करती हैं। मिथिला और बनारस पंचांग के अनुसार इस वर्ष जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत अलग-अलग दिन पड़ रहा है। मिथिला पंचांग को मानने वाले जिउतिया व्रत 24 सितंबर को रखेंगी, जबकि बनारस पंचांग को मानने वाली 25 सितंबर उपवास करेंगी।
मिथिला पंचांग के जानकार पं. शंभूनाथ झा बताते हैं कि मिथिला पंचांग में इस वर्ष 24 सितंबर शाम 6.06 बजे तक सप्तमी तिथि है। 23 सितंबर को नहाय खाय होगा। 24 सितंबर को सुबह महिलाएं सरगही ओठगन करेंगी और अष्टमी बुधवार 25 सितंबर शाम 5.05 बजे तक रहेगा। ऐसे में व्रती 25 सितंबर शाम 5.15 बजे के बाद पारण कर देंगी।
बनारस पंचांग के अनुसार
बनारस पंचांग के अनुसार जिउतिया व्रत 24 को नहीं, बल्कि 25 सितंबर को होगा। इसके अनुसार उदया तिथि को महत्व दिया गया है। ज्योतिषाचार्य पीके युग बताते हैं कि काशी पंचांग के अनुसार 25 सितंबर को बुधवार की शाम 4.56 बजे तक अष्टमी है। सप्तमी तिथि मंगलवार 4.55 के बाद समाप्त हो रहा है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू होगा। इसलिए व्रती 25 सितंबर को व्रत का निर्जला, निराहार उपवास करेंगी।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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