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खुद से शुरू एक नई शुरुआत

क्या वजह है कि दुख देने वाली डोर टूटती नहीं? वर्षों के साए नजर साफ होने ही नहीं देते? क्यों ना एक प्यार भरी कोशिश फिर से की जाए। खुद से छिपें नहीं, बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि हम असल में कैसे...

खुद से शुरू एक नई शुरुआत
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 10 Jan 2016 07:47 PM
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क्या वजह है कि दुख देने वाली डोर टूटती नहीं? वर्षों के साए नजर साफ होने ही नहीं देते? क्यों ना एक प्यार भरी कोशिश फिर से की जाए। खुद से छिपें नहीं, बल्कि यह जानने की कोशिश करें कि हम असल में कैसे हैं?

कोई चमत्कारी वैद्य नहीं हूं। मैं घाव भरने का जादू नहीं जानती। खुद को खोजने के सफर में मैं अपने आपको एक ऐसा पत्थर मानती हूं, जिस पर आप अपना पैर रखकर आगे बढ़ सकते हैं। या यूं कहें कि एक ऐसी जगह, जहां लोग खुद को प्यार करने के माध्यम से अपने अद्भुत गुणों से रू-ब-रू हो जाते हैं। पूरी दुनिया में कई वर्षों की काउंसलिंग, वर्कशॉप्स और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के आयोजन करवाने के बाद मैंने तो यही जाना है कि हर समस्या का एक ही हल है -खुद को प्यार करना।
लोगों के जीवन में बड़े बदलाव तब आते हैं, जब वे हर दिन खुद को पहले से ज्यादा प्यार करना सीख जाते हैं। वे पहले से बेहतर महसूस करते हैं। तब वे जो चाहते हैं, हो जाता है। उनके पास जरूरत मुताबिक पैसा आने लगता है। उनके रिश्तों में सकारात्मक बदलाव दिखता है। नकारात्मक रिश्ते या तो खत्म हो जाते हैं या फिर नए रिश्ते बनते हैं।  इन सारे अंकुरों की एक ही जमीन होती है-खुद को प्यार करना। मैंने पाया है कि जीवन की सरलता ही सबसे महान ज्ञान है।

किसी ने मुझसे कहा था, 'आपने मुझे सबसे आश्चर्यजनक तोहफा दिया है, आपने मुझे मुझसे मिला दिया।'
जीवन खुद को ढूंढ़ने की एक यात्रा है और मेरे लिए ज्ञान प्राप्त करने का मतलब है अपने भीतर की यात्रा। यह जान पाना कि हम वास्तव में कौन और क्या हैं और यह भी कि खुद को प्यार करके, अपनी परवाह करके हम खुद की क्षमताओं का विकास भी करते हैं।

खुद को प्यार करना खुदगर्जी तो बिल्कुल नहीं है। यह हमारे अंदर की नकारात्मक चीजों को साफ करके दूसरों को प्यार कर पाने का रास्ता भी बनाती है। जब हम निजी तौर पर अंदर से खुश और आनंदित होते हैं, तब हम इस पूरी दुनिया की सहायता करने में सक्षम बनते हैं।

मेरी पूछें, तो प्यार मेरे लिए अपने अंतरतम की प्रशंसा है। मतलब हम जो वाकई में हैं, उसकी प्रशंसा। जिसमें हम अपने सारे पहलुओं को स्वीकार करते हैं-हमारी छोटी-छोटी विशिष्टताएं, शर्मिंदगी के बिंदु, कमजोर पक्ष और हमारी अच्छी बातें भी। हम अपने पूरे व्यक्तित्व को बिना शर्त प्यार करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, पर सच भी कि कई ऐसे हैं, जो जब तक अपना वजन नहीं घटा लेते, खुद को लेकर खुश नहीं होते या कि नौकरी या ज्यादा तनख्वाह या बॉयफ्रेंड या ऐसा ही कु छ भी। ये तो अपने प्यार पर शर्त लगाना हुआ। जबकि सच मानिए हममें इतना प्यार भरा होता है कि हम जैसे भी हैं, उसी को प्यार कर सकते हैं।
यह युग हर स्तर पर बदलावों का है। इस समय जो भी इस दौर का साथी होना स्वीकार कर रहा है, उसने इतने बड़े बदलाव का हिस्सा बनना, बदलाव करना चुना था। उसने संसार के पुराने तौर-तरीकों को नए और ज्यादा प्रेम व शांतिपूर्ण तरीकों से बदलना चुना था।

चुनिए प्यार को
अगर आप आज खुद को प्यार करना नहीं सीखना चाहते, तो कल आप अपना इच्छित पा भी लें, तो भी आप अपने को प्यार नहीं कर पाएंगे। जो बहाने आज हैं, वे कल भी रहेंगे। आज ही तो वह दिन है, जब आप खुद से बिना किसी अपेक्षा के प्यार करना सीखिए। प्यार क्रोध, घृणा या दुख की तरह है। जैसे उन्हें चुनते हैं, क्यों ना प्यार को चुनें। जिसने हमें दुख पहुंचाया उसे माफ करना चुनकर हम अपने घावों के भरने की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। जो कुछ है, उसके लिए कृतज्ञ होना चुन सकते हैं। यह विकल्प हमारे अंदर ही छिपा है। तो चलिए अभी से प्यार को चुनते हैं। क्योंकि आप जैसा शानदार दूसरा कोई कहां है!
रोज खुद से यह जरूर कहें
'मुझे मेरे शरीर से प्यार है।
'मेरे शरीर को स्वस्थ रहना अच्छा लगता है।
'मेरा दिल प्यार का मंदिर है।
'मेरे खून में जिंदगी और रवानगी है।
'मेरी नजर में प्यार है।
'मैं करुणा लेकर सुनता/ सुनती हूं।
'मैं सरलता से चल-फिर सकता/सकती हूं।
'मेरे पैर जिंदगी की धुन पर नाचते हैं।
'मैं अपने भोजन में प्रेम भी मिलाता/ मिलाती हूं।
'मेरा पसंदीदा पेय पानी है।
'मुझे पता है कि अपनी देखरेख कैसे की जाती है।
'मैं इतना स्वस्थ कभी नहीं रहा/रही।
'अपने गरिमापूर्ण शरीर की मैं प्रशंसा करता/ करती हूं।
'मैं स्वस्थ हूं, घाव भर गए हैं और मैं संपूर्ण हूं।
कुछ और भी...
अतीत में अपने शरीर की सही देखरेख ना करने के लिए खुद को माफ कर दीजिए। इस तरह सोचिए कि उस समय जो सबसे अच्छा कर सकते थे, वह किया। अब जितना कुछ जीवन आपको दे रहा है, उसमें आप सर्वोत्तम ढंग से स्वयं को स्वस्थ और पोषित कर रहे हैं। उत्तम स्वास्थ्य के लिए इसे जो चाहिए, वह दे रहे हैं। आपका शरीर आपका मित्र है। जीवन सुंदर है और आपको इसमें भरपूर आनंद आ रहा है। 

लुई एल हे
प्रसिद्ध लेखिका व प्रेरक वक्ता। 'यू कैन हील योर लाइफ' उनकी बेस्ट सेलर है। बचपन के कटु अनुभवों के बावजूद संबंधों व जीवन के प्रति उनका विश्वास प्रेरित करता है।

मन: हम अपनी ही बातों में डूबे रहते हैं। हमारे अनुभव, धारणाएं, पढ़ी-सुनी बातें और कई बार कुछ विचार और कल्पनाएं भी...बस यही हमारा सच होते हैं। हमें वही पसंद आता है, वही सुनते हैं जो इनके आसपास होता है। पर उन बातों का क्या, जो हमारी सोच और कल्पनाओं से परे हैं? कवयित्री और पुलित्जर पुरस्कार विजेता मैरी ऑलिवर कहती हैं, 'अपने दिल में कुछ जगह अकल्पनीय बातों के लिए भी रखें।'

वचन: हम अपने विचारों को दूसरों  के सामने बोलने से हिचकते हैं। 'पागल हो...', 'ये हो ही नहीं सकता...', 'कोई नहीं मानेगा...' आदि आवाजें कानों में गूंजने लगती हैं। जर्मनी के दार्शनिक अर्थर शोवेन्योर कहते हैं, 'हर सच स्वीकृत किए जाने से पहले तीन चरणों से गुजरता है। पहले स्तर में यह एक मूर्खतापूर्ण विचार होता है। दूसरे में उसका विरोध और तीसरे में  उसे स्वत: प्रामाणिक सच मान लिया जाता है।

काया: दुख में मुस्कुराना आसान नहीं। समस्याओं से घिरा उदास मन, चेहरे पर चिंता की लकीरें बनकर झलकने लगता है। मुस्कान केवल तनाव ही कम नहीं करती, बल्कि उन लोगों से भी व्यवहार बनाए रखती है, जिन्हें हमारी उदासियों से कोई मतलब नहीं होता। प्रसिद्ध हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन कहते हैं, 'मेरी जिंदगी में ढेर सारी समस्याएं हैं, लेकिन मेरे होंठ उन्हें नहीं जानते। वे हमेशा हंसते ही रहते हैं।'

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