माता के इस मंदिर में पूरी होती हैं मनोकामनाएं
बुलंदशहर के अहार में गंगा नदी के तट के पास मां अवंतिका देवी का महाभारतकालीन मंदिर स्थित है। मान्यता है कि मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से अपनी मुरादें मांगता है, मां अवंतिका उसकी हर मुराद पूरी करती...
बुलंदशहर के अहार में गंगा नदी के तट के पास मां अवंतिका देवी का महाभारतकालीन मंदिर स्थित है। मान्यता है कि मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से अपनी मुरादें मांगता है, मां अवंतिका उसकी हर मुराद पूरी करती हैं।ाताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुकमणि भी पूजा -अर्चना करने के लिए प्रतिदिन यहां आती थी। नवरात्रियों में इस भव्य मंदिर पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। इस अवधि में यहां मेला लगता है।
प्रतिवर्ष नवरात्रों में अवंतिका देवी मंदिर पर विशाल मेला लगता है। इसमें सप्तमी,अष्टमी एंव नवमी को पूरे प्रदेश के साथ हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड आदि प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्घालु दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां आकर श्रद्घालु गंगा स्नान कर मां अवंतिका के दरबार में पूजा-अर्चना कर अपनी मुरादें मांगते हैं। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला प्रशासन द्वारा मंदिर पर मेला की पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं। इस अवसर पर श्रद्घालुओं द्वारा गंगा घाटों पर बच्चों मुंडन संस्कार आदि भी कराए जाते हैं।
राजा भीष्मक की राजधानी थी कुंदनपुर उर्फ अहार
बताया जाता है कि अहार का प्राचीन नाम कुंदनपुर था, जो राजा भीष्मक की राजधानी थी। राजा भीष्मक की पुत्री व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुकमणी प्रतिदिन अवंतिका देवी के मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आती थीं। मंदिर के पीछे आज भी वह कुंडाना हुआ है, जहां राजकुमारी रुकमणी पूजा से पूर्व स्नान किया करती थीं। माना जाता है कि मां अवंतिका देवी के मंदिर में ही रुकमणी और श्रीकृष्ण का विवाह हुआ था। इसके चलते मंदिर की विशेष मान्यता है और दंपति यहां आकर अपने शांतिपूर्ण दाम्पत्य जीवन की मनोकामनाएं मांगतें हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।