
हरछठ व्रत किस समय किया जाता है, पूजा में किस चीज का होता है इस्तेमाल
संक्षेप: harchath vrat kab hai 2025: भाद्रपद मास की छठी तिथि पर महिलाएं अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए हलषष्ठी व्रत रखती हैं। यह व्रत संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। इस साल बनारस पंचांग के अनुसार भी व्रत 14 अगस्त को रखा जाएगा।
भाद्रपद मास की छठी तिथि पर महिलाएं अपनी संतानों की दीर्घायु के लिए हलषष्ठी व्रत रखती हैं। यह व्रत संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। इस साल बनारस पंचांग के अनुसार भी व्रत 14 अगस्त को रखा जाएगा। इसी दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म उत्सव भी मनाया जाएगा। आपको बता दें कि हरछठ की पूजा दोपहर के समय में की जाती है। इसके लिए मध्य काल का समय देखा जाता है। मध्यकाल सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे के बीच में होगा। इस व्रत में कथा दोपहर में ही पढ़ी जाती है और पूजा के बाद आरती की जाती है। यह व्रत उत्तर प्रदेश, एमपी, छत्तीसगढ़ में खास तौर पर मनाया जाता है। हर जगह व्रत और पूजा की विधि अलग-अलग है।

ऐसी मान्यता है कि हलछठ के दिन व्रती महिलाएं केवल तालाब में पैदा होने वाली वस्तुओं जैसे तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल आदि ही खाती हैं। व्रती महिलाएं खेत में पैदा होने वाले अनाज और सब्जी का सेवन नहीं करती हैं। पूजा के लिए सात प्रकार के अनाज बाजार को टोकरी में सजाया जाता है और छठी माता, गौरा माता को अर्पित किया जाता है। प्रसाद अर्पित करने से पहले माता का श्रृंगार किया जाता है। कथा पढ़ने के बाद छटी माता की परिक्रमा की जाती है। कम से कम 6 बार परिक्रमा करें। कुछ लोग घर में झरबेरी की टहनी को पानी में लगाकर उसकी परिक्रमा करते हैं। इसके बाद कांस के फूल के तने में एक गांठ लगा दें। तो मनोकामना पूर्ण होती है।
आपको बता दें कि छठ और हरछठ अलग-अलग हैं। छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष छठवीं तिथि को मनाया जाता है,इस दिन छठी माता और सूर्यय की पूजा की जाती है। वहीं हरछठ भाद्रपद मास की छठी तिथि को मनाया जाता है, इसमें छठीमाता और बलराम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।





