देवी आदिशक्ति देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। मां दुर्गा के नौ रूप हैं-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री। नवरात्रि में माता के इन्हीं नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये नौ रूप अलग-अलग सिद्धियां देते हैं। इसमें माता के महागौरी लेकर से कालरात्रि जैसे नौ रूप हैं।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोऊ नैना, चंद्रबदन नीको॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गलमाला, कंठन पर साजै॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी॥
कानन कुंडल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योति॥
चंड-मुंड संहारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करै भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजै डमरू॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भवानी।
भक्तन की दुःख हरता, सुख संपत्ति कानी॥
भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
माघ मास में षटतिला एकादशी, तिल द्वादशी और मासिक शिवरात्रि हैं। माघ मास में गंगा स्नान और तिल के दान का बहुत अधिक महत्व कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में तिल दान करना चाहिए।
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