देवी आदिशक्ति देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। मां दुर्गा के नौ रूप हैं-शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री। नवरात्रि में माता के इन्हीं नौ रूपों की पूजा की जाती है। ये नौ रूप अलग-अलग सिद्धियां देते हैं। इसमें माता के महागौरी लेकर से कालरात्रि जैसे नौ रूप हैं।
जय अम्बे गौरी, जय श्यामा गौरी।
जग जननी माता, तुम हो भवानी॥
शिवसुत आकर भृगु हरि शंभु जी के संग।
सदा सेवा करती हो, तुम हो कृपा-रंगी॥
दुर्गा माता के चरणों में, सब संकटों का नाश।
रखो कृपा, जो लाए तुम्हारी भक्ति की आश॥
जप और तप में हम कृतार्थ, हमें करो साधन।
सदा करो सब पर कृपा, तुम हो सुख के दान॥
सिद्धिदात्री माता तुम, धन और यश के दाता।
जो भी तुम्हारी पूजा करे, मिलती उसे सौगात॥
रूप रंग के मोह में, माता तुम हो नाश।
मोह-भूल का समाधान, तुम्हारी आराधना का आधार॥
लक्ष्मीपति के संग सदा, बसी तुम महल में।
धन, वैभव सब सदा मिलते, माता के चरणों में॥
माँ दुर्गा ने सबका, संकट हर लिया है।
जो भक्त तेरा ध्यान करे, उसकी हर बात पूरी हुई है॥
नवरात्रि के दिन में, पूजा तुझे हर कोई।
शक्ति रूप में पूजें, शरणागत वत्सल माँ॥
रावण का अंत किया, त्रिलोकी में आतंक को।
माँ दुर्गा ने किया सर्वथा, राक्षसों का अंत॥
माँ के भक्तों के संग, तुम सदा रहे वास।
जो सब संकट मिटाए, माँ के चरणों में आदर॥
सदा सुख और समृद्धि का, आश्रय तुम हो जीवन में।
माँ दुर्गा की पूजा से ही, मिलती खुशी सब दिन॥
तुम्हारे गुणों का वर्णन, करूं हर समय।
माँ दुर्गा की कृपा से, सब सुख पाए मन॥
हे माँ! सच्चे भक्त तुम्हारे, पाते तुम्हारी कृपा।
माँ दुर्गा की आराधना से, सब मिलती है सबको सफला॥
माँ दुर्गा की महिमा, सब जगत में बिखरी।
जो भी माता की चालीसा पढ़े, उसे मिलती सब सुख की खरी॥
माँ दुर्गा की आरती, हर समय की जाती।
भक्त हर दिन तुम्हारे, पुण्य लाभ पाते॥
जग में तुम हो आशा, भक्तों के लिए तुम्हारी आराधना।
माँ दुर्गा की चालीसा, सबको देती सुख-समृद्धि॥
अर्चना में हम तुम्हारी, समर्पित सदा।
माँ दुर्गा की कृपा से, पाते हम सुख और शांति॥
जय अम्बे गौरी, जय श्यामा गौरी।
जग जननी माता, तुम हो भवानी॥
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