sawan
sawan

शिव यानी कल्याणकारी। "शि" का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि "व" का अर्थ है, देने वाला । शिव-स्वरूप बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है,महिमा अपरंपार है ।

शिव स्तुति मंत्र

शिव तांडव स्तोत्र

शेयर करें
  • जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले
    गलेऽव लम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्।
    डमड्ड डमड्ड डमड्ड मन्निनाद वड्डमर्वयं
    चकार चण्ड ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥

  • जटा कटाह संभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी
    विलोल वीचिवल्लरी विराजमान मूर्धनि।
    धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्ट पावके
    किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥

  • धराधरेन्द्र नन्दिनी विलासबन्धु बन्धुर
    स्फुरद्दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे।
    कृपाकटाक्ष धोरणी निरुद्धदुर्धरापदि
    क्वचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥

  • जटा भुजङ्ग पिङ्गल स्फुरत्फणामणिप्रभा
    कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे।
    मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
    मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि॥

  • सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर
    प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः।
    भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
    श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः॥

  • ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
    निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्।
    सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
    महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥

  • करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
    धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
    धराधरेन्द्रनन्दिनी कुचाग्रचित्रपत्रक
    प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥

  • नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
    कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः।
    निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
    विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं मम॥

  • स्फुरत्करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्वल
    द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
    धराधरेन्द्रनन्दिनी कुचाग्रचित्रपत्रक
    प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥

  • प्रहृष्णिकण्ठकन्धरा विलोलवीचिवल्लरी
    धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधु बंधुरस्फुरद्र्तल्पक्षत प्रगल्भनील पङ्कजे।
    निलिम्प निर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरं
    जगज्जयाय जायतां चकोर बन्धुशेखरः॥

  • इति स्तुवन्ति योऽनित्यं शम्भवमात्मसंस्थितम्
    कथञ्चितात्मनः शरीरमस्तमेत सुष्ठु त।
    न तद्गिरौ चिरायुतं सुसंवृतं हि तद्वभूत
    वसन्नुमदभृश्णिके निलिम्प निर्झरीधरः॥

  • ॥ इति शिव तांडव स्तोत्रम् समाप्तम् ॥

भगवान शिव के त्यौहार एवं तिथियाँ

और पढ़ें
  • उपवास और त्यौहारतिथि
  • शिवरात्रि मासिक, कांवड़ जल अर्पित2 अगस्त
  • सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई
  • साावन का दूसरा सोमवार29 जुलाई
  • सावन का तीसरा सोमवार 5 अगस्त
  • सावन का चौथा सोमवार12 अगस्त
  • सावन का पांचवा सोमवार19 अगस्त
  • मंगला गौरी व्रत पहला 23 जुलाई23 जुलाई
  • मंगला गौरी व्रत दूसरा 30 जुलाई30 जुलाई
  • मंगला गौरी व्रत तीसरा6 अगस्त
  • मंगला गौरी व्रत13 अगस्त
  • सावन का पहला प्रदोष व्रत 1 अगस्त
  • हरियाली तीज7 अगस्त
  • नाग पंचमी9 अगस्त
  • सावन का दूसरा प्रदोष व्रत17 अगस्त
  • कजरी तीज22 अगस्त
  • हरतालिका तीज6 सितंबर
  • मासिक शिव रात्रि14 अगस्त
  • महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025
  • गणगौर पूजा सोमवारमार्च 31 2025

भगवान शिव से जुड़ी कहानियाँ और पूजा विधि

Sawan : सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू होगा सावन माह, इस बार पड़ेंगे पांच सोमवार

अगले 27 दिनों तक शिवलिंग पर चढ़ाएं 5 चीजें, शिव जी की शुभ-दृष्टि से होगी धन-वर्षा

Sawan Rudrabhishek : अपने मन से किसी भी दिन नहीं करा सकते रुद्राभिषेक, इस तिथि में है अनिष्टकारी, शिव वास का रखें ध्यान

सावन में रुद्राभिषेक करते समय इन बातों का रखें ध्यान, जानें रुद्राभिषेक के लाभ और नियम

Sawan Somwar Vrat Vidhi: अगर पहली बार कर रहे सावन सोमवार व्रत , तो जान लें व्रत विधि, कथा, जरूरी नियम व खास बातें

सात दशक बाद सावन की शुरूआत और समापन भी सोमवार को

Saawan Special: सावन में ऐसे बनाएं पार्थिव शिवलिंग, शिवपुराण में बताया गया है भोलेनाथ को खुश करने का ये आसान तरीका

Sawan 2024 : कहीं आप तो भी नहीं खाते शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद, शिवजी से जुड़ी है कथा

और देखें

भगवान शिव के प्रमुख मंदिर:

  • मंदिरस्थान
  • काशी विश्वनाथ मंदिरवाराणसी, उत्तर प्रदेश
  • केदारनाथ मंदिरकेदारनाथ, उत्तराखंड
  • महाकालेश्वर मंदिरउज्जैन, मध्य प्रदेश
  • सोमनाथ मंदिरप्रभास पाटन, गुजरात
  • त्र्यंबकेश्वर मंदिरनासिक, महाराष्ट्र
  • भीमाशंकर मंदिरपुणे, महाराष्ट्र
  • रामेश्वरम मंदिररामेश्वरम, तमिलनाडु
  • लिंगराज मंदिरभुवनेश्वर, ओडिशा
  • बैद्यनाथ मंदिरदेवघर, झारखंड
  • नागेश्वर ज्योतिर्लिंगद्वारका, गुजरात
  • कैलाश मंदिरएलोरा, महाराष्ट्र
  • ग्रिशनेश्वर मंदिरऔरंगाबाद, महाराष्ट्र
  • ओंकारेश्वर मंदिरखंडवा, मध्य प्रदेश
  • अमरनाथ गुफा मंदिरजम्मू और कश्मीर

धर्म खबरें

और पढ़ें
News Image
कन्या संक्रांति 16 सितंबर को, सूर्यदेव की होती है विशेष पूजा

जब सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष 12 संक्रांति मनाई जाती हैं। सूर्य देव जब कन्या राशि में में प्रवेश करते हैं तो उसे कन्या संक्रांति कहते हैं। कन्या संक्रांति का विशेष महत्व है।