शिव यानी कल्याणकारी। "शि" का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि "व" का अर्थ है, देने वाला । शिव-स्वरूप बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है,महिमा अपरंपार है ।
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
Sawan : सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू होगा सावन माह, इस बार पड़ेंगे पांच सोमवार
अगले 27 दिनों तक शिवलिंग पर चढ़ाएं 5 चीजें, शिव जी की शुभ-दृष्टि से होगी धन-वर्षा
Sawan Rudrabhishek : अपने मन से किसी भी दिन नहीं करा सकते रुद्राभिषेक, इस तिथि में है अनिष्टकारी, शिव वास का रखें ध्यान
सावन में रुद्राभिषेक करते समय इन बातों का रखें ध्यान, जानें रुद्राभिषेक के लाभ और नियम
Sawan Somwar Vrat Vidhi: अगर पहली बार कर रहे सावन सोमवार व्रत , तो जान लें व्रत विधि, कथा, जरूरी नियम व खास बातें
सात दशक बाद सावन की शुरूआत और समापन भी सोमवार को
Saawan Special: सावन में ऐसे बनाएं पार्थिव शिवलिंग, शिवपुराण में बताया गया है भोलेनाथ को खुश करने का ये आसान तरीका
Sawan 2024 : कहीं आप तो भी नहीं खाते शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद, शिवजी से जुड़ी है कथा
जब सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहा जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष 12 संक्रांति मनाई जाती हैं। सूर्य देव जब कन्या राशि में में प्रवेश करते हैं तो उसे कन्या संक्रांति कहते हैं। कन्या संक्रांति का विशेष महत्व है।
Rashifal : 15 सितंबर का दिन मेष से लेकर मीन राशि वालों के लिए कैसा रहेगा? पढ़ें अपना भविष्यफल
कब से शुरू हैं पितृपक्ष 2024 श्राद्ध? जानें डेट व महत्व
Vishwakarma Pooja 2024 : विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करें और क्या नहीं?
अंकराशि 15 सितंबर: कल 1-9 मूलांक वालों का दिन कैसा रहेगा, पढें अंक राशिफल
विश्वकर्मा पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें, नोट कर लें संपूर्ण पूजा-सामग्री लिस्ट और महत्व