ज्योतिष की रत्न शाखा में बुध ग्रह के लिए पन्ना रत्न धारण करने की बात कही गई है। अंग्रेजी में इसे एमरल्ड नाम से जानते हैं। पन्ना एक प्रकार से बुध ग्रह का ही प्रतिरूप होता है। इसमें बुध के गुण विद्यमान होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से बुध को मजबूत करने के लिए पन्ना धारण किया जाता है। पन्ना हरे रंग की आभा रखने वाला रत्न होता है। इसमें भी नवीन दूब घास की तरह हल्के रंग की आभा रखने वाला हल्के रंग और पारदर्शी पन्ने को श्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत के अनुसार पन्ना धारण करने से व्यक्ति की कुंडली में स्थित बुध ग्रह को बल प्राप्त होता है। पन्ना धारण करने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। उसे तर्क शक्ति प्राप्त होती है और गणनात्मक कार्यों में लाभ मिलता है।
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वाणी क्षमता और वाक शक्ति प्रबल होती है। शिक्षा एवं अनुसंधान कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस रत्न को धारण करने से व्यवहार कुशलता आती है। व्यापारिक गुणों का विकास होता है। पन्ना त्वचा संबंधी रोग, स्नायु तंत्र की समस्या, मस्तिष्क से जुड़ी समस्या, अस्पष्ट आचरण की परेशानी और झिझक की समस्या में भी लाभकारी है। जो लोग कुंडली में कमजोर बुध होने के कारण प्रतिभा या ज्ञान का सही ढंग से प्रदर्शन नहीं कर पाते, उनके व्यक्तित्व में भी पन्ना धारण करने से परिवर्तन आते हैं। विभोर इंदुसुत के अनुसार पन्ना केवल तभी ग्रहण करना चाहिए जब यह आपकी कुंडली के हिसाब से शुभ हो। यदि कुंडली में नकारात्मक फल देने वाला ग्रह है तो उन्हें पन्ना धारण नहीं करना चाहिए। सामान्यत: वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न वाले जातकों के लिए पन्ना शुभ रहता है।
पन्ना धारण करने की विधि
पन्ने को चांद की अंगूठी में बनवाकर सीधे हाथ की कनिष्ठा उंगली में धारण कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त हरे धागे या चांदी की चेन के साथ लॉकेट के रूप में भी गले में धारण कर सकते हैं। पन्ने को बुधवार को प्रात:काल सबसे पहले गाय के कच्चे दूध एवं गंगाजल से अभिषेक करके धूप जलाकर बुध मंत्र की तीन माला जाप करते हुए धारण करना चाहिए। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही पन्ना धारण करना चाहिए। पन्ना धारण करने का मंत्र है-ऊं बुम बुधाय नम:।
(ये जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)