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2 अक्टूबर को मनाया जाएगा दशहरा, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय

साल 2025 में दशहरा या विजयादशमी 2 अक्टूबर, गुरुवार को है। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया था। 

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 28 Sep 2025 08:24 PM
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2 अक्टूबर को मनाया जाएगा दशहरा, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय

साल 2025 में दशहरा या विजयादशमी 2 अक्टूबर, गुरुवार को है। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया था। यह त्योहार पूरे भारत में अलग-अलग रूपों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करके राक्षसों से पृथ्वी को मुक्त किया था। इसलिए, दशहरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। कहीं रावण दहन होता है तो कहीं देवी दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन।

तिथि और शुभ मुहूर्त-

दशमी तिथि: 1 अक्टूबर 2025 की शाम 7:01 बजे से 2 अक्टूबर 2025 की शाम 7:10 बजे तक।

विजय मुहूर्त: 2 अक्टूबर को 2:09 PM से 2:56 PM तक।

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अपराह्न पूजा मुहूर्त: 1:21 PM से 3:44 PM तक।

रावण दहन का समय: सूर्यास्त के बाद, लगभग 6:05 बजे के बाद।

पूजा विधि:

सुबह-सुबह उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें।

घर के मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। यह भी माना जाता है कि घर के दरवाजे पर हल्दी या लाल रंग से स्वस्तिक बनाने से शुभता बढ़ती है।

दुर्गा प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती लगाएं।

सिंदूर, अक्षत (चावल), लाल पुष्प, नारियल, मिठाई और मौसमी फल रखें। देवी को लाल चुनरी अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।

दशहरा पर शस्त्र, औजार, किताबें और वाहन की पूजा करना परंपरा है। यह विजय और सफलता का प्रतीक माना जाता है।

आरती और मंत्रोच्चारण- दुर्गा चालीसा, रामरक्षा स्तोत्र या दुर्गा मंत्र का पाठ करें। अंत में आरती करें और परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल हों।

रावण दहन- शाम को रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण की पुतलियों का दहन करना अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

महत्व- दशहरा को “विजयादशमी” कहा जाता है। ‘विजय’ यानी जीत और ‘दशमी’ यानी दसवां दिन। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंततः अच्छाई की ही जीत होती है। इस दिन को लेकर कई मान्यताएं हैं। कई लोग इस दिन शमी वृक्ष की पूजा करते हैं और उसके पत्तों को “सोना” मानकर एक-दूसरे को भेंट करते हैं। व्यवसायी वर्ग इस दिन अपने पुराने खातों को बंद कर नए खातों की शुरुआत करते हैं। विद्यार्थी अपनी किताबों और पेन की पूजा करते हैं, ताकि ज्ञान और सफलता बनी रहे। दक्षिण भारत में इसे “आयुध पूजा” कहा जाता है।

उपाय

नए कार्य का आरंभ: विजय मुहूर्त में नया व्यवसाय, नौकरी या निवेश शुरू करने से सफलता मिलती है।

दान-पुण्य: जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, मिठाई या धन दान करने से पुण्य मिलता है।

मां दुर्गा की आराधना: इस दिन मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करना और दुर्गा मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।

शमी पत्तों का आदान-प्रदान: रिश्तों में मजबूती के लिए लोग शमी पत्तों को “सोना” मानकर आदान-प्रदान करते हैं।

रावण दहन की परंपरा

रावण दहन केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रतीक है अहंकार, लोभ और अन्य बुराइयों को जलाने का। बड़े-बड़े मैदानों में पुतले बनाए जाते हैं, जहां हजारों लोग इकट्ठा होकर आतिशबाजी के बीच रावण दहन देखते हैं। यह दृश्य बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।

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Yogesh Joshi

लेखक के बारे में

Yogesh Joshi
योगेश जोशी हिंदुस्तान डिजिटल में सीनियर कंटेंट प्रड्यूसर हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मेहला गांव के रहने वाले हैं। पिछले छह सालों से पत्रकरिता कर रहे हैं। एनआरएआई स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेश से जर्नलिज्म में स्नातक किया और उसके बाद 'अमर उजाला डिजिटल' से अपने करियर की शुरुआत की, जहां धर्म और अध्यात्म सेक्शन में काम किया।लाइव हिंदुस्तान में ज्योतिष और धर्म- अध्यात्म से जुड़ी हुई खबरें कवर करते हैं। पिछले तीन सालों से हिंदुस्तान डिजिटल में कार्यरत हैं। अध्यात्म के साथ ही प्रकृति में गहरी रुचि है जिस कारण भारत के विभिन्न मंदिरों का भ्रमण करते रहते हैं। और पढ़ें
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