महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने यहीं पिंडदान किया था, धर्मारण्य वेदी पर होता है त्रिपिंडी श्राद्ध
shradh Gayaji: धर्मारण्य पिंडवेदी पर त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने यहीं पिंडदान कर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की थी, माना जाता है कि यहां श्राद्ध से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।

धर्मारण्य पिंडवेदी पर त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने यहीं पिंडदान कर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की थी। माना जाता है कि यहां किए गए त्रिपिंडी श्राद्ध से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है। पितृपक्ष मेला के अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में पिंडदानी बोधगया पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की आस्था और सुविधा को ध्यान में रखते हुए बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) ने महाबोधि मंदिर परिसर में पिंडदान सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए व्यापक तैयारी कर रखा है। बुधवार को बीटीएमसी की सचिव डॉ. महाश्वेता महारथी व केयर टेकर भिक्षु डॉ दीनानंद ने मंदिर परिसर के अंदर पिंडदान स्थल का मुआयना किया। मंदिर के दक्षिणी ओर स्थित मुचलिंद सरोवर के समीप निर्धारित पिंडदान स्थल की नियमित सफाई और देखभाल की जा रही है। बीटीएमसी की सचिव ने बताया कि पिंडदान प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा नहीं हो। इसके लिए बीटीएमसी ने 40 अतिरिक्त मजदूर लगाया है।
मातंगवापी वेदी की परंपरा
अग्नि पुराण में मातंग ऋषि की तपोस्थली के रूप में वर्णित मातंगवापी वेदी पर तर्पण और पिंडदान की परंपरा है। यहां मातंग कुंड में श्रद्धालु स्नान कर पितरों का उद्धार करते हैं। पंचकोसी गया क्षेत्र में सरस्वती वेदी पर तर्पण, धर्मारण्य में त्रिपिंडी और मातंगवापी में पिंडदान और महाबोधि मंदिर में दर्शन की परंपरा कालांतर से चली आ रही है।
महाबोधि मंदिर में उमड़ी भीड़
महाबोधि मंदिर परिसर में बुधवार को पिंडदान और भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। सुरक्षा व्यवस्था के तहत यात्रियों को कई जांच घेरे से होकर गुजरना पड़ा। पिंडदानी महाबोधि मंदिर में भी अपने पितरों का पिंडदान करते है। धर्मारण्य, मातंग्वापी व सरस्वती वेदी के साथ महाबोधि मंदिर में भी तीर्थ यात्रियों का लंबी कतार लगी रही।




