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Dhanteras 2025 date: कब है धनतेरस, त्रयोदशी पूजन का स्थिर लग्न मुहूर्त क्या है, मां लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद

Dhanteras 2025 date: कब है धनतेरस, त्रयोदशी पूजन का स्थिर लग्न मुहूर्त क्या है, मां लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद

संक्षेप: dhanteras puja Muhurat: धन्वंतरी जयंती सहित प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि में धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। धन तेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजा कर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वाहन, सोना, चांदी, रत्न, आभूषण एवं बर्तन आदि की खरीददारी कर घर लाना अति शुभफलदायक होता है। 

Sun, 12 Oct 2025 12:58 PMAnuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, ज्योतिर्विद पंडित दिवाकर त्रिपाठी
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धन्वंतरी जयंती सहित प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि में धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन सामान खरीदने की परंपरा पुरानी है। धन तेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजा कर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वाहन, सोना, चांदी, रत्न, आभूषण एवं बर्तन आदि की खरीददारी कर घर लाना अति शुभफलदायक होता है। इस दिन स्थिर लग्न अथवा प्रदोष कालीन स्थिर लग्न में बर्तन आदि सहित कोई भी धातु खरीदना शुभफल दायक होता है। विशेषकर इस मुहूर्त्त में धातु या मिट्टी का कलश अवश्य खरीदना चाहिए। इस साल त्रयोदशी तिथि का मान 18 अक्टूबर 2025 दिन शनिवार को दिन में 1:20 बजे से आरम्भ होकर 19 अक्टूबर 2025 दिन रविवार को दिन में 1:54 बजे तक व्याप्त रहेगा।

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त्रयोदशी तिथि में पूजन के लिए स्थिर लग्न समुद्र मंथन के समय कलश के साथ माता लक्ष्मी का अवतरण हुआ । उसी के प्रतीक के रूप में ऐश्वर्य वृद्धि, सौभाग्य वृद्धि, धन वृद्धि के लिए बर्तन खरीदने की परम्परा प्रारम्भ हुई। साथ ही आयुर्वेद के प्रवर्तक धन्वन्तरी महाराज के जयंती दिवस के आधार पर भी यह तिथि पुनीत एवं प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान धन्वन्तरी का जन्म इसी दिन प्रदोष बेला अर्थात प्रदोष काल में हुआ था । इसी कारण प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी में ही धनतेरस का अति पवित्र पर्व मनाया जाता है। इस दिन स्थिर लग्न अथवा प्रदोष कालीन स्थिर लग्न में बर्तन आदि सहित कोई भी धातु खरीदना शुभफल दायक होता है। विशेषकर इस मुहूर्त्त में धातु या मिट्टी का कलश अवश्य खरीदना चाहिए। इस दिन शनि प्रदोष व्रत भी किया जाएगा। जिसमें व्रत रहकर प्रदोष काल में भगवान शिव, माता पार्वती एवं माता लक्ष्मी की पूजा श्री हरि विष्णु के साथ करने से उत्तम फल की प्राप्ति होगी। ऐसे मान्यता है कि इस दिन व्रत रहकर पूजा करने से व्यक्ति को संतान से संबंधित किसी भी समस्या का निराकरण मिल जाता है।

त्रयोदशी तिथि में पूजन के लिए स्थिर लग्न :

(1)- 18 अक्टूबर दिन शनिवार को स्थिर लग्न कुम्भ दोपहर बाद 02:21 से 3:46 (pm ) बजे तक ।

(2)- 18 अक्टूबर दिन शनिवार को स्थिर लग्न वृष रात में 06:59 से 8:56 बजे तक ।

(3)- 18 अक्टूबर दिन शनिवार को मध्य रात्रि बाद स्थिर लग्न सिंह 01:27 से 3:40 बजे रात तक।

(4)- 19 अक्टूबर दिन रविवार को स्थिर लग्न वृश्चिक सुबह 8:10 से 10:25 बजे तक।

डिस्क्लेमर- (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए धर्म विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)

Anuradha Pandey

लेखक के बारे में

Anuradha Pandey
अनुराधा पांडे लाइव हिन्दुस्तान में एस्ट्रोलॉजी और करियर सेक्शन लीड कर रही हैं। इन्हें पत्रकारिता जगत में करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। ज्योतिष और धर्म-अध्यात्म से जुड़े विषयों पर पिछले 10 सालों से लिख रही हैं। इन्होंने हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली और ग्रैजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से किया है। लाइव हिन्दुस्तान में करियर का लंबा हिस्सा बीता और काम करते-करते 9 साल हो गए हैं। एस्ट्रोलॉजी और करियर से जुड़ी खबरों के अलावा हेल्थ पर लिखने शौक है। इससे पहले तीन साल तक आज तक वेबसाइट में एजुकेशन सेक्शन में भी काम किया है। और पढ़ें
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