
कार्तिक मास की यह एकादशी है खास, बड़े-बड़े पापों को भी एक ही व्रत से भस्म कर डालती है
संक्षेप: Devuthani ekadashi 2025 kab: कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी बहुत खास मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विष्णु भगवान चार महीने की निंद्रा से जागते हैं। इस साल देवउठनी एकादशी व्रत 1 नवंबर को किया जाएगा।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी बहुत खास मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विष्णु भगवान चार महीने की निंद्रा से जागते हैं। इस साल देवउठनी एकादशी व्रत 1 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी का बहुत पुण्य माना जाता है। पद्म पुराण में भी इस एकादशी का जिक्र है। पद्म पुराण में लिखा है कि देवउठनी एकादशी का पर्व पाप का नाशक, पुण्य कर्म को बढ़ाने वाला औरको मोक्ष देनेवाला है। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई सभी एकादशी का व्रत ना रखता हो, लेकिन अगर वो प्रबोधिनी को एक ही व्रत रखता है तो उसे सहस्र अश्वमेध ओर सो राजसूय यज्ञोंका फल मिल जाता है।

पद्मपुराण में यह भी लिखा है कि समुद्र से लेकर सरोवरों तक जितने तीर्थ हैं, वे भी तभी तक गरजते हैं जब तक कि कार्तिक में श्रीहरिकी प्रबोधिनी तिथि नहीं आती। पुराणों में यह भी लिखा है कि प्रबोधिनी को एक ही व्रत त्रिलोक में जो वस्तु अत्यन्त दुर्लभ मानी गयी है, उसे भी प्रदान करता है। अगर हरिबोधिनी एकादशीको उपवास किया जाए तो वह अनायास ही ऐश्वर्य, संतान, ज्ञान, राज्य ओर सुखसम्पत्ति प्रदान करती है। मनुष्यके किए हुए मेरुपर्वत के समान बड़े-बड़े पापों को भी हरिबोधिनी एकादशी एक ही व्रत से भस्म कर डालती है । जो प्रबोधिनी एकादशीको स्वभावसे ही विधिपूर्वक उपवास करता है, वह उत्तम फलों को पाता है।
यही नहीं देवउठनी एकादशी पर पंचक लगे रहेंगे। अगले दिन द्वादशी तक पंचक रहेंगे। देवउठनी एकादशी के दिन पंचक पूरे दिन रहेगा, जबकि भद्राकाल रात 08 बजकर 27 मिनट तक है। देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 2 नवंबर को किया जाएगा। पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।





