
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी आज, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती और उपाय से लेकर सबकुछ
संक्षेप: दिवाली का पर्व भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में लोग दीये जलाते हैं, घर सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं। यह त्योहार खुशियों और रोशनी का प्रतीक माना जाता है। दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक मनाया जाता है।
Choti diwali narak chaturdashi : दिवाली का पर्व भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में लोग दीये जलाते हैं, घर सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं। यह त्योहार खुशियों और रोशनी का प्रतीक माना जाता है। दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक मनाया जाता है। दिवाली की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। धनतेरस के अगले दिन यानी मुख्य दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। दीपावली उत्सव का दूसरा दिन होता है। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और धार्मिक दृष्टि से इसका बहुत विशेष महत्व माना गया है।

छोटी दिवाली क्या है?- छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह दिन भगवान कृष्ण की उस जीत की याद में मनाया जाता है जब उन्होंने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इसलिए यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है। दिवाली की तुलना में छोटी दिवाली थोड़ी साधारण तरीके से मनाई जाती है। इस दिन भी लोग घरों में दीपक जलाते हैं, पूजा करते हैं और शाम को भगवान की आराधना करते हैं।
छोटी दिवाली 2025 कब है?
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) 2025 में रविवार, 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत: 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे
क्योंकि पूजा का समय रात में होता है, इसलिए 19 अक्टूबर की रात को ही छोटी दिवाली मनाना सही रहेगा।
पूजा विधि- इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। सूर्योदय से पहले स्नान करने की परंपरा है, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है। इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ यमराज की आराधना करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है और जीवन में शांति व समृद्धि बनी रहती है।
शुभ मुहूर्त और पूजा का समय
नरक चतुर्दशी की तिथि 19 अक्टूबर 2025, रविवार दोपहर 1:51 बजे से शुरू होगी और 20 अक्टूबर 2025, सोमवार दोपहर 3:44 बजे तक चलेगी। इस समय के बीच आप यम दीपक जला सकते हैं और पूजा-पाठ कर सकते हैं। इस दिन अभ्यंग स्नान (तेल लगाकर स्नान करने की परंपरा) का शुभ समय सुबह 5:12 से 6:25 बजे तक रहेगा। माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से नरक के दुखों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
अभ्यंग स्नान मंत्र (स्नान से पहले)
नरक से मुक्ति और पवित्रता के लिए यह मंत्र बोला जाता है —
"अभ्यंगं कुर्वे प्रातः नरकप्राप्तये सदा।
दामोदरप्रीतये च स्नानं मे भवतु सिद्धिदम्॥"
दीपदान मंत्र (शाम को यम दीपदान करते समय)
"मृत्युनाज्ञायाम् दीपं ददामि नमोऽस्तु ते।
यमराज नमस्तुभ्यं दीपं गृह्य तु याच्यसे॥"
या फिर सरल रूप में:
“यम दीपं ददाम्यहम् दीनानां हर मे भयम्।”
श्रीकृष्ण पूजन मंत्र (रूप चतुर्दशी के रूप में)
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
“ॐ दामोदराय नमः।”
यम तर्पण मंत्र (यदि जल अर्पण करें)
"मृत्यवे नमः, यमाय नमः, धर्मराजाय नमः, अंतकाय नमः।"
सामान्य प्रार्थना (दिवाली पूर्व आत्मशुद्धि हेतु)
"पापानि मे हर देवेश दामोदर नमोऽस्तु ते।
रूपं देहि जयां देहि यशो देहि द्विषां जयम्॥"
उपाय-
प्रातःकाल अभ्यंग स्नान उपाय
सूर्योदय से पहले उठकर तेल (तिल या सरसों) में हल्दी, काली तिल और थोड़ा चंदन मिलाकर पूरे शरीर पर लगाएं। इसके बाद उबटन या बेसन से स्नान करें। इस उपाय को करने से पापों का नाश होता है और शरीर में तेज व आकर्षण बढ़ता है।
यम दीपदान उपाय (संध्या के समय)- संध्या के समय घर के दक्षिण दिशा में (या मुख्य द्वार के बाहर दाहिनी ओर) एक दीपक जलाएं।उसमें तिल का तेल और एक नया रूई का बत्ती हो। दीपक को जलाते समय यमराज से दीर्घायु और पापमुक्त जीवन की प्रार्थना करें।
धन और लक्ष्मी प्राप्ति उपाय- शाम को लक्ष्मी जी के चित्र या दीप के सामने 11 कौड़ियां और एक रुपये का सिक्का रखकर “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” का 108 बार जप करें। अगले दिन ये कौड़ियां तिजोरी या पर्स में रख लें।
आरती संग्रह छोटी दिवाली-
सबसे पहले भगवान गणेश की आरती करें-
भगवान गणेश की आरती-
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।
मां लक्ष्मी की आरती-
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।
भगवान श्री राम की आरती-
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ
आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ,
कनक शिहांसन रजत जोड़ी,
दशरथ नंदन जनक किशोरी,
युगुल छबि को सदा निहारूँ,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
बाम भाग शोभति जग जननी,
चरण बिराजत है सुत अंजनी,
उन चरणों को सदा पखारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ........
आरती हनुमंत के मन भाये,
राम कथा नित शिव जी गाये,
राम कथा हिरदय में उतारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ.
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
बधन करती दुनिया सारी,
उन चरणों में शीश को धारू,
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ.
हनुमान जी की आरती-
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
मां काली की आरती-
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी |
दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी |
सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,
दुशटन को तू ही ललकारती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
माँ बेटी का है इस् जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता |
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता |
सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,
दुखीं के दुक्खदे निवर्तती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना |
हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना |
सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को संवरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली |
वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली |
माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,
भक्तो के करेज तू ही सरती |
हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती |





