Chaurchan Pooja 2024 :चौरचन पूजा आज, जानें चंद्रदेव के पूजन का समय, पूजाविधि और महत्व
- Chaurchan Pooja 2024 : हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चौरचन का पर्व मनाया जाता है। आज 06 सितंबर को चौथ चंद पूजन किया जाएगा। मिथिला में यह महिलाओं के लिए बेहद खास पर्व होता है।
Chaurchan Pooja 2024 Date : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चौरचन का पर्व मनाया जाता है। पंडित व ज्योतिषाचार्य के मुताबिक भाद्र शुक्ल रोहिणी नक्षत्र में चतुर्थी चन्द्र की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार, आज 06 सितंबर को चतुर्थी चांद का पूजन किया जाएगा। कोसी और मिथिलांचल के लिए चौरचन पर्व का बड़ा महत्व होता है। इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह और हर्षोल्लास का माहौल रहता है। जिस तरह से छठ में सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है, वैसे ही चौरचन में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएं छठ पर्व की तरह ही इस दिन पकवान बनाती है और पति-बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं चौरचन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और महत्व...
चौरचन पूजा की सही डेट : जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को कलंक चतुर्थी और चौथ चंद पूजन होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, 06 सितंबर को चतुर्थी चौथ का पूजन किया जाएगा। 6 सितंबर को दोपहर 12:17 मिनट पर चतुर्थी तिथि आरंभ होगी और अगले दिन 07 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इसलिए 6 सितंबर को ही चतुर्थी चौथ चांद का पूजन किया जाएगा।
चौरचन पूजा में चंद्रदेव के पूजन का समय: शुक्रवार को चंद्रमा का उदय व चौथ पूजन का समय शाम को 07 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा और रात 08 बजकर 16 मिनट तक चौथ की चांद का पूजन किया जा सकेगा।
चौरचन पूजाविधि : आज शुक्रवार को चौरचन पूजा के दिन महिलाएं चौरचन चांद का व्रत करेंगी। शाम को फल,पकवान और बताशा आदि डालिया में भरकर चंद्रोदय के बाद चांद को कच्चे दूध से अर्घ्य देकर पूजन करेंगी। इस दिन संध्या बेला में चंद्रदेव की पूजा की जाती है। ऋतु फल डालिया में भरकर चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से पुत्र की आयु में वृद्धि होती है और झूठे कलंक से रक्षा होती है।
चौरचन पूजा का महत्व : संकट मोचन दरबार के पंडित चंद्रशेखर झा ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार,चंद्रमा को अपने सौंदर्य पर अभिमान हो गया था और उन्होंने वह गणेश जी का मजाक उड़ा दिया। तब भगवान गणेश जी ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया थी कि उनकी सुंदरता चली जाए और धीरे-धीरे चंद्रमा की कांति कम होने लगी। इसके साथ ही यह भी श्राप दिया कि जो भी भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा के दर्शन करेगा, उस पर झूठे आरोप और कलंक लगेंगे। तब चंद्रदेव को अपनी गलती का एहसा हुआ और उन्होंने भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि को गणेशजी को मनाने के लिए पूजा-आराधना की। जिसके बाद गणेशजी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी गणेश चतुर्थी को चंद्रदेव का दर्शन कर उनकी पूजा करेगा। उनका जीवन निष्कलंक रहेगा। कहा जाता है कि इस दिन से ही चौरचन पूजा का पर्व भी मनाने की परंपरा शुरू हुई।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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