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Chandra Grahan : आज होली पर लगेगा चंद्र ग्रहण, जानें टाइम, भारत में प्रभाव से लेकर सबकुछ

  • Chandra Grahan : 14 मार्च को होली वाले दिन चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन भारत में इसका कहीं भी प्रभाव नहीं रहेगा। विदेशों में इसे देखा जाएगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत में किसी भी स्थान से दिखाई नहीं देगा। इसके किसी भी प्रकार के सूतक पातक दोष भारत में कहीं भी मान्य नहीं होंगे।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 14 March 2025 07:01 AM
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Chandra Grahan : आज होली पर लगेगा चंद्र ग्रहण, जानें टाइम, भारत में प्रभाव से लेकर सबकुछ

Chandra Grahan : 14 मार्च को होली वाले दिन चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन भारत में इसका कहीं भी प्रभाव नहीं रहेगा। विदेशों में इसे देखा जाएगा। यह खग्रास चंद्र ग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत में किसी भी स्थान से दिखाई नहीं देगा। इसके किसी भी प्रकार के सूतक पातक दोष भारत में कहीं भी मान्य नहीं होंगे। यह ग्रहण भारत में कहीं भी मान्य नहीं होगा। 14 मार्च फाल्गुन कृष्ण पक्ष पूर्णिमा शुक्रवार होली वाले दिन भारतीय समयानुसार दिन में 10:39 से दोपहर 2:18 तक विदेशों में खग्रास चंद्र ग्रहण पड़ेगा। भारतीय समय के अनुसार इसका विरल छाया प्रवेश सुबह 09:27 पर होगा। ग्रहण का स्पर्श दिवाकाल 10:40 पर होगा। ग्रहण का मध्य दिवाकाल 12:29 पर होगा। ग्रहण का मोक्ष दिवाकाल दोपहर 2:30 पर एवं विरल छाया निर्गम दोपहर 3:30 पर होगा।

यहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण

इस ग्रहण को पेसिफिक सागर, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, ग्रीनलैंड, पनामा, पेरू, उरुग्वे, ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, पश्चिमी यूरोप, पश्चिम में आयरलैंड, ब्रिटेन, नॉर्वे, स्वीडन, पश्चिमी पोलैंड, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, इटली, अफ्रीका, मोरक्को, अल्जीरिया, घाना, नाइजीरिया, लीबिया, उत्तरी अटलांटिक सागर व दक्षिणी अटलांटिक सागर, पूर्वी रूस में देखा जा सकेगा।

भारत में नहीं रहेगा कोई प्रभाव- चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले ही प्रारंभ हो जाता है। इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं। साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके कारण यहां पर ना तो चंद्र ग्रहण का कोई दुष्प्रभाव होगा और ना ही इसका कोई सूतक काल मान्य होगा। ऐसे में होली के त्योहार पर चंद्र ग्रहण का साया नहीं होगा। इसका प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप व अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र के अलावा प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका पर पड़ेगा।

ब्लड मून- ग्रहण वाले दिन चंद्रमा गहरे लाल रंग का हो जाएगा। इसे ही ब्लड मून कहते हैं। इस दिन के चंद्रमा को ब्लड मून इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन धरती सूर्य और चंद्रमा के पास से गुजरती है और सूर्य की रौशनी क्रीमसन और कॉपर कलर की हो जाती है।

चंद्र ग्रहण का होता है विशेष महत्व- हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण खगोलीय, आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से एक विशेष घटना है। इसका जनमानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु माने जाते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है की जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते हैं,तो इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है,लेकिन चंद्रमा पर नहीं पड़ता है। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं।

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