Chaitra navratri mata ka vahan kya h nav samvatsar raja and mantri surya नवरात्र में हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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नवरात्र में हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य

  • Chaitra navratri: चैत्र नवरात्र 30 मार्च से प्रारंभ हो रहे हैं। इसके साथ ही ‘सिद्धार्थी’ नव संवत्सर 2082 भी। इस संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य हैं। इस बार नवरात्र पर देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है। यह अत्यंत शुभ है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानTue, 25 March 2025 08:58 AM
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नवरात्र में हाथी पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य

चैत्र नवरात्र 30 मार्च से प्रारंभ हो रहे हैं। इसके साथ ही ‘सिद्धार्थी’ नव संवत्सर 2082 भी। इस संवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य हैं। इस बार नवरात्र पर देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है। यह अत्यंत शुभ है। इससे वर्ष भर देश के लिए शुभ फलदायक स्थितियां बनेगी। इस वर्ष नवरात्र आठ दिन के हैं। तृतीया तिथि का क्षय होने के कारण दूसरा-तीसरा नवरात्र एक ही दिन है। देवी भागवत के अनुसार मां दुर्गा का वाहन शेर है। लेकिन हर वर्ष नवरात्र में देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं।

नवरात्र में देवी किस वाहन पर सवार होकर आएंगी, इसके दिन तय हैं। देवी भागवत में इस संबंध में एक श्लोक है—

‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥’

रविवार या सोमवार के दिन कलश की स्थापना होने पर देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। देवी का हाथी पर सवार होकर आना शुभ होता है। यह अच्छी वर्षा का प्रतीक है। साथ ही मेहनत का फल और मां की कृपा प्राप्त होती है। शनिवार या मंगलवार के दिन नवरात्र प्रारंभ होने पर देवी का वाहन घोड़ा होता है। मां दुर्गा का घोड़े पर आना सत्ता परिवर्तन या युद्ध का प्रतीक है। यह विपक्ष के लिए शुभ और सत्ता पक्ष के लिए प्रतिकूल स्थितियां बनाता है।

बृहस्पतिवार या शुक्रवार के दिन नवरात्र प्रारंभ हो तो देवी पालकी में बैठकर आती हैं। यह अशुभता का प्रतीक है। इससे महामारी, प्राकृतिक आपदा, उपद्रव, दंगे और जन हानि जैसी स्थितियां पैदा होती हैं।

इसी प्रकार बुधवार के दिन नवरात्र की शुरुआत हो तो देवी दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं। देवी का नाव पर आगमन हर प्रकार से शुभ होता है। भरपूर बारिश और अच्छी फसल होती है। कष्ट दूर होने के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

यह स्वाभाविक है कि जब देवी का आगमन होगा, तो उनकी विदाई भी होगी। माता की विदाई दशमी को होती है। उस दिन रविवार या सोमवार हो तो देवी भैंसे पर सवार होकर जाती हैं। इसका प्रभाव राष्ट्र पर अशुभ होता है। यह रोग और शोककारक स्थितियां बनाता है।

शनिवार या मंगलवार के दिन दशमी होने पर देवी की सवारी मुर्गा होती है। इसके अशुभ फल होते हैं। इससे दुखों और कष्टों में वृद्धि होती है। इसी प्रकार अगर विदाई बुधवार या शुक्रवार के दिन हो तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर जाती हैं। यह शुभ माना जाता है। इसका अर्थ है कि आपको आपके अच्छे कार्यों का फल मिलेगा।

बृहस्पतिवार के दिन दशमी हो तो देवी दुर्गा की सवारी मनुष्य होती है। यह शुभ फलदायक होती है। इससे देश में चारों तरफ सुख-शांति और संपन्नता होती है।

अरुण कुमार जैमिनि

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