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Apara ekadashi vrat Katha: आज पढ़ें अपरा एकादशी व्रत कथा, पाप के वृक्ष के लिए कुल्हाड़ी की तरह है अपरा एकादशी व्रत

aaj ki ekadashi vrat katha in hindi: ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं। इस साल यह एकादशी 23 मई को मनाई जा रही है। इस दिन व्रत रखने से कीर्ति बढ़ती, लाभ होता है और धन बढ़ता है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानFri, 23 May 2025 10:22 AM
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Apara ekadashi vrat Katha: आज पढ़ें अपरा एकादशी व्रत कथा, पाप के वृक्ष के लिए कुल्हाड़ी की तरह है अपरा एकादशी व्रत

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं। इस साल यह एकादशी 23 मई को मनाई जा रही है। इस दिन व्रत रखने से कीर्ति बढ़ती, लाभ होता है और धन बढ़ता है। इस भगवान विष्णु की पूजा चंदन, गंगाजल और कपूर स करनी चाहिए। एक दिन धर्मराज युधिष्ठर ने भगवान कृष्ण से कहा कि आज अचला एकादशी के नाम का महाक्मय और पूजा विधान के बारे में जानने की इच्छा है, कृपा विस्तार से बताएं

श्री भगवान कहने लगे- हे राजन इस एकादशी का नाम अपरा है। यह अपार धन देने वाली है जो लोग इस एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। इसका व्रत रखने से ब्रह्महत्या, भूत, और परनिनंदा आदि सभी पाप दूर हो जाते हैं। इस व्रत से पर स्त्री गमन, झूठी गवाही देेना, झूठ बोलना, कल्पित शास्त्र पढ़ना, झूठा ज्योतिष और झूठा वैद्य बनना आदि पाप भी नष्ट हो जाते हैं। जो क्षत्रिय होकर युद्ध से भाग जाता है और जो शिष्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते समय उसकी निंदा करता है, वे नरक में जाते हैं, लेकिन इस एकादशी का व्रत करने से सभी पाप कट जाते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि तीनों पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा स्नान करने से या गंगातट पर पितरों का पिंडदान करने से फल मिलता है, वो अपरा एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। मकर के सूर्य में प्रयागराज के स्नान, शिवरात्रि व्रत में सिंह राशि के गुरु में गोमती नदी में स्नान करने से कुंभ में केदारनाथ या बदरीनाथ की यात्रा करने और सूर्यग्रहणमें कुरुक्षेत्र के स्नान, स्वर्ण, हाथी घोड़े दान करने या नव प्रसूता गौ दान करने से जो फल मिलता है, वो अपरा एकादशी के व्रत से मिल जाता है। यह व्रत पापरुपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है और पापरुपी ईंधन को जलान ेके लिए अग्नि है। इस एकासधी का व्रत और भगवान का पूजन करने से सब पाप से मुक्त होकर भक्त विष्णुलोक को जाते हैं। हे राजन, यह अपरा एकादशी की कथा मैंने लोकहित के लिएकही, इसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सबी पापों से छूट जाती है, इसमें संदेह नहीं है। समाप्त