
Ahoi Ashtami Vrat : अहोई अष्टमी व्रत आज, नोट कर लें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती, उपाय से लेकर सबकुछ
संक्षेप: अहोई अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से माताओं द्वारा उनकी संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखकर मनाया जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है।
Ahoi Ashtami Vrat : अहोई अष्टमी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से माताओं द्वारा उनकी संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखकर मनाया जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है और आकाश में तारे दिखाई देने लगने पर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। माना जाता है कि इस विधि से माता अहोई प्रसन्न होती हैं और व्रतधारक की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। 2025 में अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर यानी आज है।

पूजा का शुभ समय (मुहूर्त) शाम 5:53 बजे से लेकर शाम 7:08 बजे तक रहेगा। अवधि- 1 घंटा 15 मिनट।
तारों को अर्घ्य देने का समय शाम 6:17 बजे तक निर्धारित किया गया है।
पूजा विधि:
सबसे पहले, मां को कोमल भाव से स्मरण करते हुए घर में गंगाजल का छिड़काव करें और दीवार पर अहोई माता की तस्वीर या मूर्ति लगाएं। फिर दीपक जलाएं, पुष्प अर्पित करें, धूप-धूपदान करें और मनोकामनाएं करें। संध्या के समय जब तारे आसमान में दिखाई देने लगें, उन्हें अर्घ्य दें। अंत में पूजन के पकवानों को माता के सामने भोग स्वरूप अर्पित करें। घर के बड़ों का आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें।
सामग्री लिस्ट:
शुद्ध जल, गंगाजल
दीपक (घी या तेल का)
पुष्प, धूप, अगरबत्ती
मिठाई, फल
दान सामग्री (अनाज, वस्त्र आदि)
फोटो या चित्र में अहोई माता की छवि
कुमकुम, रोली, सिंदूर आदि पूजन सामग्री
महत्व: अहोई अष्टमी का मुख्य उद्देश्य माता अहोई से अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगना है। यह व्रत यह दिखाता है कि एक मां की ममता और भक्ति को कितना महत्व है। व्रत धारक यह मानते हैं कि यदि वे निर्धारित विधि से व्रत करें और तारे निकलने पर सही समय पर अर्घ्य दें, तो उनकी संतान को लंबी उम्र, सुख-शांति और सफलता प्राप्त होगी। कहते हैं कि यह व्रत पिछले पापों का प्रायश्चित करने वाला है और व्रतधारक की मनोकामनाएं पूरी करने वाला भी। कई देवी-देवताओं में अष्टमी तिथियाँ विशेष महत्व रखती हैं, और इस अवसर पर मातृभक्ति और श्रद्धा की प्रधानता होती है।
अहोई माता की आरती
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुम बिन सुख नाहीं कोई, तुम बिन सुख नाहीं।
भक्तन को सुख देती, दुःखन को हरती॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
जो कोई तुझे ध्यावे, मन वांछित फल पावे।
तू सबकी भव बाधा हरती, जन की लाज रखती॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तेरे चरणों में ध्यान लगावे, सुख-सम्पत्ति घर पावे।
जो कोई शरण में आये, दुख-दरिद्र मिट जाये॥
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तू ही जननी तू ही दाता, जग की पालनहारी।
तेरी महिमा अपार हे माता, तू जग की रखवाली॥
खास उपाय-
निर्जला व्रत रखें- पूरे दिन जल न पीना और अहोई माता को समर्पित भाव से व्रत करना सबसे पवित्र उपाय माना जाता है। इससे संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना पूरी होती है।
तारों को जल से अर्घ्य देना- संध्या समय जब तारे आकाश में दिखाई दें, उन्हें जल से अर्घ्य देना। इसे करने से माता अहोई प्रसन्न होती हैं और संतान की सुख-शांति, समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।





