Ahoi Ashtami time: कब रखा जाएगा अहोई अष्टमी व्रत, अहोई पर यहां स्नान की है परंपरा
संक्षेप: Ahoi Ashtami vrat kab hai: अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए करती हैं। यह व्रत करवा चौथ के कुछ दिन बाद आता है। अहोई माता को देवी पार्वती का रूप माना जाता है। इस व्रत के पीछे एक कहानी है, इसलिए यह व्रत रखा जाता है।

अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए करती हैं। यह व्रत करवा चौथ के कुछ दिन बाद आता है। अहोई माता को देवी पार्वती का रूप माना जाता है। इस व्रत के पीछे एक कहानी है, इसलिए यह व्रत रखा जाता है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:54 बजे प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 11:39 बजे तक रहेगा। इसलिए 13 अक्टूबर को यह व्रत रखा जाएगा। यह व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस व्रत का संबंध पुत्र और पुत्री से नहीं है, आप इसे संतान की लंबी उम्र के लिए रख सकते हैं, फिर चाहे वो पुत्र हो या पुत्री। यह व्रत करवा चौथ व्रत की तरह ही होता है। इस व्रत में निर्जला रहा जाता है। इस व्रत में चंद्रमा को नहीं तारों को देखकर व्रत खोला जाता है।
अहोई अष्टमी मुहूर्त
इस साल अहोई अष्टमी का मुहूर्त शाम को 05:33 से लेकर 06:47 बजे तक रहेगा। इस समय सेई माता की कहानी पढ़ सकते हैं। इस दिन तारों को देखने के लिए शाम का समय 05:56 बजे रहेगा। वहीं इस दिन चंद्रमा रात्रि को 11:08 बजे निकलेगा।
अहोई अष्टमी पर कहां किया जाता है स्नान
अहोई अष्टमी के दिन पर मथुरा के राधाकुंड में लोग स्नान करते हैं। जो लोग संतान की कामना करते हैं, उनके लिए अहोई अष्टमी पर राधाकुंड में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यहां स्नान से संतान प्राप्ति होती है। हर साल लाखों लोग यहां आते हैं। अहोई अष्टमी के दिन राधाकुंड में पैठे के फल को छोड़ते हैं। आधी रात को होने वाले स्नान के दौरान दंपती लाल कपड़े में बांधकर फल छोड़ते हैं। सालों से लोग यहां डुबकी लगाते हैं।





