Ahoi ashtami date: अहोई अष्टमी कब है, कब और कैसे खोला जाता है अहोई अष्टमी का व्रत
संक्षेप: Ahoi ashtami kab hai: कार्तिक मास की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर को रहेगा। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत करती है। आद्रा, पुनर्वसु नक्षत्र परिधि योग बव करण के शुभ संयोग में मनाया जाएगा।

कार्तिक मास की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस साल यह व्रत 13 अक्टूबर को रहेगा। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत करती है। आद्रा, पुनर्वसु नक्षत्र परिधि योग बव करण के शुभ संयोग में मनाया जाएगा। करवा चौथ की के चौथे दिन यह व्रत आता है और इस व्रत में शाम को अहोई माता की कथा सुनने के बाद व्रत खोलती हैं। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर रखा जाएगा। इस दिन ग्रह नक्षत्रों का भी अच्छा संयोग बन रहा है। 13 अक्टूबर को अहोई अष्टमी व्रत पर रवि योग, परिधि योग, शिव योग, पुनर्वसु नक्षत्र रहेंगे। इस दिन शिववास योग भी है, जिसमें शिवजी की पूजा विशेष फलदायी रहती है।
अहोई अष्टमी के व्रत का पारण कब करते हैं
अहोई अष्टमी पर महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करती है। इसके बाद शाम को तारों की छांव में व्रत खोलती हैं। इस व्रत में तारे दिखने पर व्रत खोलते हैं। कई लोग तारों की जगह चंद्रमा आने पर भी व्रत खोलते हैं। इस साल 13 अक्टूबर को तारे देखने का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजे से शुरु होगा। इस समय से 6:45 के बीच तारे देखकर पूजा करें। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से अहोई माता संतान की लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन व्रत में चाकू या किसी धारदार चीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अहोई माता की पूजा करने के लिए अहोई माता का चित्र गेरू रंग से मनाया जाता है। इस चित्र में माता, सेह और उसके सात पुत्रों को अंकित किया जाता है। शाम को पूजा करने के बाद अहोई माता की कथा सुनी जाती है।इसके बाद सास-ससुर और घर में बड़ों आशीर्वाद लें। तारों को करवे से अर्घ्य देकर तारों की आरती उतारें। इसके बाद संतान से जल ग्रहण कर, व्रत पूरा किया जाता है।
डिस्क्लेमर - यह खबर धर्मग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। आध्यात्मिक, जन्म कुंडली और ग्रह के प्रभाव संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिए एक बार विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।





