
Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी पर 05:53 मिनट से पूजा का उत्तम मुहूर्त शुरू, जानें सुबह-शाम के पूजा मुहूर्त, अहोई माता की आरती
संक्षेप: Ahoi Ashtami 2025 Time Pooja Muhurat: आज अहोई माता की पूजा कर तारों व चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण होगा। शाम में पूजा के लिए कुछ ही देर का मुहूर्त रहेगा। इसके साथ ही सुबह में ही राहुकाल भी लग रहा है।
Ahoi Ashtami 2025 Time: अहोई अष्टमी का व्रत संतान की लंबी उम्र व अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है। आज अहोई अष्टमी का व्रत रख विधि-विधान के साथ पूजन किया जाएगा। सुबह में व्रत संकल्प लेकर व्रत का आरंभ होगा। वहीं, शाम के समय अहोई माता की पूजा कर तारों व चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, आज दोपहर 12:24 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होगी, जो 14 अक्टूबर की सुबह 11:09 बजे तक रहेगा। अहोई अष्टमी में संध्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन माताएं पूरा दिन निर्जल व्रत रहकर शाम को तारे को अर्घ्य देकर व्रत खोलती है और अहोई माता से अपनी संतान की दीर्घ आयु की कामना करती हैं। आज शाम में पूजा के लिए 1 घंटे 15 मिनट का मुहूर्त मिल रहा है। इसके साथ ही सुबह में ही राहुकाल भी लग रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं अहोई अष्टमी पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, अहोई माता की आरती, चांद व तारे देखने का समय-

अहोई अष्टमी पर 05:53 मिनट से पूजा का उत्तम मुहूर्त शुरू
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - 05:53 पी एम से 07:08 पी एम
अवधि - 01 घण्टा 15 मिनट्स
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय - 11:20 पी एम
तारों को देखने का समय - 06:17 पी एम
न करें इस मुहूर्त में पूजा-पाठ
आज सुबह 07 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह में 09 बजकर 14 मिनट तक राहुकाल रहेगा। इस समय शुभ कार्य करने से बचें।
जानें सुबह-शाम के पूजा मुहूर्त
अमृत - सर्वोत्तम 06:21 ए एम से 07:47 ए एम
शुभ - उत्तम 09:14 ए एम से 10:40 ए एम
चर - सामान्य 01:34 पी एम से 03:00 पी एम
लाभ - उन्नति 03:00 पी एम से 04:27 पी एमवार वेला
अमृत - सर्वोत्तम 04:27 पी एम से 05:53 पी एम
चर - सामान्य 05:53 पी एम से 07:27 पी एम
लाभ - उन्नति 10:34 पी एम से 12:07 ए एम, अक्टूबर 14
अहोई माता की आरती
जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता।
ब्राहमणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।





