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Hindi Newsधर्म न्यूज़45 minutes time for night puja on Janmashtami Vidhi Pooja Laddu Gopal

जन्माष्टमी पूजा के लिए सिर्फ 45 मिनट का मुहूर्त टाइम,जानें लड्डू-गोपाल के जन्म की सही व संपूर्ण विधि

  • Janmashtami Pooja Vidhi : जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि के समय पूजा करना अत्यंत पुण्यदायक रहेगा। लड्डू गोपाल की सेवा संतान की तरह की जाती है। इसलिए इस दिन कई लोग भगवान का जन्म कर रात्रि के समय पूजा करते हैं।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 26 Aug 2024 06:11 PM
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Janmashtami Vidhi: कृष्ण जन्माष्टमी 2024 26 अगस्त, सोमवार के दिन बड़े ही उत्साह और प्रेम के साथ मनाई जाएगी। इस दिन कृष्ण-भक्त व्रत रख कान्हा कि भक्ति में झूमेंगे। भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में विष्णु जी के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। मध्यरात्रि के दौरान, कृष्ण भगवान धरती पर पधारे थे। इसलिए जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि के समय पूजा करना अत्यंत पुण्यदायक रहेगा। कृष्ण जी के बाल स्वरूप- लड्डू गोपाल की सेवा संतान की तरह की जाती है। इसलिए इस दिन कई लोग भगवान का जन्म कर रात्रि के समय पूजा करते हैं। पूजा में डंठल वाले खीरे का उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल की पूजा की सही व सम्पूर्ण विधि-

 

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बिना इस 1 चीज के जन्माष्टमी की पूजा अधूरी

जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा में खीरे का विशेष महत्व माना जाता है। कुछ लोग जन्माष्टमी के दिन कान्हा का जन्म भी करते हैं। ऐसे में डंठल वाले खीरे को गर्भनाल की तरह माना जाता है। इसलिए जन्माष्टमी की पूजा में भगवान श्री कृष्ण के पास डंठल वाला खीरा जरूर रखें।

जन्माष्टमी लड्डू-गोपाल जन्म विधि

हर साल जन्माष्टमी पर कुछ लोग भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, कान्हा जी का जन्म डंठल वाले खीरे की मदद से किया जाता है। अष्टमी तिथि लगने के बाद डंठल वाले खीरे को काटकर भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की मूर्ति को खीरे में बैठाया जाता है, फिर उन्हें खीरे के कटे भाग से ढक दिया जाता है। वहीं, मध्यरात्रि के वक्त अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र व्याप्त शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण का जन्म किया जाता है। सिक्के की मदद से खीरे को डंठल से अलग किया जाता है। इसे नाल छेदन भी कहते हैं। जन्म के बाद डंठल वाले खीरे को डंठल से उसी तरह अलग कर दिया जाता है, जैसे गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चे को नाल से अलग किया जाता है। भगवान का जन्म होने के बाद लड्डू गोपाल को खीरे से बाहर निकाला जाता है।

जन्मष्टमी पर कैसे करें श्रीकृष्ण की पूजा?

भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद प्रभु का अभिषेक किया जाता है। खीरे से बाहर निकालने के बाद लड्डू गोपाल का कच्चे दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद किसी साफ कपड़े से भगवान प्रभु की मूर्ति को पोछें और उन्हें वस्त्र पहनाएं। अब प्रभु का आभूषणों से श्रृंगार करें। इन्हें मोर पंख वाला मुकुट पहनाएं, हाथों में बांसुरी पकड़ाएं, कानों में कुंडल, पैरों में पायल और गले में माला पहनाएं। इसके बाद प्रभु पर पीले रंग के पुष्प चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं। अब प्रभु पर अक्षत, इत्र और फल चढ़ाएं। इसके बाद धूप और घी के दीपक से प्रभु की आरती पूरी श्रद्धा के साथ करें। कान्हा जी को माखन बेहद पसंद है। इसलिए लड्डू गोपाल को माखन मिश्री या मेवे की खीर का भोग लगाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना करें और कृष्ण भगवान के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। जन्माष्टमी पर भजन-कीर्तन करने का भी विशेष महत्व होता है।

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पूजा के बाद खीरे का क्या करें?

जन्माष्टमी की पूजा के बाद कटे हुए खीरे को प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दें। वहीं, गर्भवती महिलाओं के लिए इस कटे हुए खीरे को प्रसाद में ग्रहण करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की संतान की प्राप्ति के लिए या भगवान श्री कृष्ण की तरह संतान पाने के लिए जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे का प्रसाद रूप में सेवन करना चाहिए।

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 के शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:39 ए एम बजे

अष्टमी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 02:19 ए एम बजे

रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:55 पी एम बजे

रोहिणी नक्षत्र समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 03:38 पी एम बजे

मध्यरात्रि का क्षण - 12:23 ए एम, अगस्त 27

चन्द्रोदय समय - 11:20 पी एम

निशिता पूजा का समय - 12:01 ए एम से 12:45 ए एम, अगस्त 27 (रात्रि पूजन व जन्म शुभ मुहूर्त)

अवधि - 00 घण्टे 45 मिनट्स

धर्म शास्त्र के अनुसार, पारण समय- 03:38 पी एम, अगस्त 27 के बाद

पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति समय - 03:38 पी एम

पारण के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।

धर्म शास्त्र के अनुसार, वैकल्पिक पारण समय- 05:57 ए एम, अगस्त 27 के बाद

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