नैनीताल और भीमताल विधानसभा में कांग्रेस इस बार पूरी तरह एकजुट नजर आ रही है। नैनीताल में संजीव आर्य पहले ही कांग्रेस से एकमात्र टिकट के प्रत्याशी थे। शनिवार रात को औपचारिक रूप से उनके नाम की घोषणा हो गई। वहीं भीमताल से दान सिंह भंडारी का नाम भी तय माना जा रहा था। जिस पर मुहर लगने के साथ ही दोनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस ने अपनी चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। पर 2017 की तरह इस सीट पर कांग्रेस को इस बार भीतर से किसी तरह की नाराजगी या बगावत का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
2017 में नैनीताल सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सरिता आर्य को हेम आर्य की बगावत का सामना करना पड़ा था। वहीं भीमताल में दान सिंह भंडारी को टिकट मिलने के बाद राम सिंह कैड़ा निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। पर इस बार दोनों ही सीटों पर कांग्रेस के भीतर किसी का विरोध देखने को नहीं मिल रहा है। यह कांग्रेस के लिए राहत की
बात है।
संजीव के पक्ष में ऐसे बना माहौल
-समर्थन में नैनीताल के कार्यकर्ता
-पार्टी के भीतर किसी तरह का विरोध नहीं
-पिता यशपाल आर्य का राजनीतिक अनुभव
-खुद के खास लोगों की टीम हर समय साथ
यशपाल आर्य दोनों सीटों पर सक्रिय
पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य नैनीताल व भीमताल सीटों पर बराबर रूप से सक्रिय हैं। वह बेटे संजीव के लिए अपने राजनीतिक अनुभव के जरिए नैनीताल विधानसभा में लगातार जनसंपर्क सभाएं कर रहे हैं। इसके अलावा संजीव ने विधायक रहते हुए कई अहम कार्य किए। जिस कारण वह इलाके में अच्छी पकड़ बनाए हुए हैं। वहीं भीमताल में भी यशपाल आर्य अपने समर्थकों के जरिए लगातार लोगों को कांग्रेस से जोड़ने में लगे हैं। जिसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी दान सिंह भंडारी को भी मिलता नजर आ रहा है।
दान सिंह भंडारी को इसलिए टिकट
-हरीश रावत गुट के सबसे करीबी नेता
-पूर्व विधायक, सरल छवि व कांग्रेस में सर्वमान्य
-भीमताल में कांग्रेस के बाकी नेताओं से बेहतर तालमेल
-कांग्रेस में दूसरा कोई बड़ा चेहरा न होना