इस बार चुनाव हारे तो नेताओं के कॅरियर पर ग्रहण!
आने वाला विधानसभा चुनाव-2022 कई नेताओं के लिए अपने पॉलिटिकल कॅरियर का आखिरी चुनाव साबित हो सकता है। 2025 में विधानसभा के चुनावी आरक्षण का परिसीमन होगा। इसके बाद नैनीताल जिले में कई विधानसभा सीटों की...

इस खबर को सुनें
आने वाला विधानसभा चुनाव-2022 कई नेताओं के लिए अपने पॉलिटिकल कॅरियर का आखिरी चुनाव साबित हो सकता है। 2025 में विधानसभा के चुनावी आरक्षण का परिसीमन होगा। इसके बाद नैनीताल जिले में कई विधानसभा सीटों की स्थिति में बदलाव होने की पूरी उम्मीद है। इस परिसीमन से राज्य गठन के बाद लगातार आरक्षित चल रही नैनीताल सीट के स्टेटस में बदलाव की आशंका है। इसके अलावा जिले में बाकी सभी सीटें सामान्य श्रेणी में आरक्षित हैं।
ऐसे में काफी हद तक संभव है कि भीमताल, हल्द्वानी, रामनगर, कालाढूंगी व लालकुआं विधानसभा सीटों में कोई आरक्षित हो जाए। ऐसे में कई सालों से सामान्य सीटों पर राजनीति कर रहे नेताओं के पॉलिटिकल कॅरियर को नया परिसीमन झटका दे सकता है। आरक्षित सीट सामान्य हो सकती है, वहीं जिले की सामान्य सीटों पर आरक्षण लागू होने की पूरी उम्मीद है।
पलायन के कारण पहाड़ पर असर:उत्तराखंड में वर्ष 2025-26 में विधानसभा सीटों का परिसीमन होगा। पहाड़ के लोगों में सीटों के घटने की आशंका बनी हुई है। लोगों का कहना है कि सीटों का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होगा तो 2012 की तरह पहाड़ को नुकसान उठाना पड़ सकता है, तब पहाड़ पर विधानसभा की छह सीटें कम हुई थीं। 2012 के बाद पहाड़ से काफी लोगों का पलायन भी हुआ है।
6 में से 5 सीटें अनारक्षित:नैनीताल जिले में विधानसभा की कुल 6 सीटें हैं। इसमें से केवल नैनीताल विधानसभा सीट ही अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए आरक्षित है। नैनीताल सीट पर अगले परिसीमन में बदलाव होने की उम्मीद लगाई जा रही है। जिले में राज्य गठन के बाद कोई भी विधानसभा सीट महिला आरक्षित नहीं हुई है।
