फोटो गैलरी

Hindi News विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश चुनाव 2022यूपी चुनाव 2022: अखिलेश का किला भेदने के लिए दुर्वासा की शरण में भाजपा

यूपी चुनाव 2022: अखिलेश का किला भेदने के लिए दुर्वासा की शरण में भाजपा

सपा के गढ़ माने जाने वाले इटावा, मैनपुरी में भाजपा पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सेंध लगा चुकी है। मगर आजमगढ़ के समाजवादी किले पर भगवा फहराने की तमन्ना अभी अधूरी है। राम मंदिर आंदोलन से लेकर...

यूपी चुनाव 2022: अखिलेश का किला भेदने के लिए दुर्वासा की शरण में भाजपा
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊWed, 01 Dec 2021 11:36 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

सपा के गढ़ माने जाने वाले इटावा, मैनपुरी में भाजपा पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सेंध लगा चुकी है। मगर आजमगढ़ के समाजवादी किले पर भगवा फहराने की तमन्ना अभी अधूरी है। राम मंदिर आंदोलन से लेकर मोदी लहर में भी यहां का सियासी तिलिस्म नहीं टूट सका था। इस बार भाजपा आजमगढ़ के दुर्ग में सेंधमारी के लिए ऋषि दुर्वासा की शरण में है। सामाजिक समीकरण साधने में भी पार्टी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही।

आजमगढ़ की चुनावी हवा का रुख मोड़ने के लिए भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति बदली है। राजनैतिक विश्लेषक प्रो. एपी तिवारी कहते हैं कि भाजपा का हिन्दुत्व विकास की चासनी में पगा हुआ है। ठीक यही एजेंडा इस बार भाजपा ने मुलायम और फिर अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र बने आजमगढ़ के लिए चुना है। 10 विधानसभा सीटों वाले इस जिले में पार्टी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। इसके लिए सिलसिलेवार रणनीति पर काम चल रहा है।

विश्वविद्यालय के जरिए एक तीर से दो निशाने

पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हाथों आजमगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय की नींव रखवाई। इस विश्वविद्यालय का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर रखने का ऐलान करके पार्टी ने एक तीर से दो निशाने साधे। राजभर वोटों को लुभाने के साथ ही सपा से चुनावी दोस्ती करने वाले ओमप्रकाश राजभर की काट का प्रयास किया गया। फिर भाजपा ने सगड़ी की बसपा विधायक वंदना सिंह को अपने पाले में ले लिया। कई अन्य जातीय क्षत्रपों पर भी पार्टी की नजर है।

धाम के जीर्णोद्धार से समीकरण साधने की जुगत

अब नया दांव भगवान शिव के रुद्रावतार कहे जाने वाले दुर्वासा ऋषि की तपोभूमि के जीर्णोद्धार का है। इसके करीब ही महर्षि दत्तात्रेय और महर्षि चंद्रमा धाम भी हैं। तमसा और मंजूषा नदी के संगम स्थल पर बना दुर्वासा धाम और दत्तात्रेय धाम जिले के निजामाबाद, अतरौलिया विधानसभा क्षेत्रों के साथ फूलपुर सीट को भी छूते हैं। भाजपा निजामाबाद के सपाई किले को ढहाने, अतरौलिया सीट पर पिछली हार के मामूली अंतर को खत्म करने और फूलपुर पर कब्जा बरकरार रखने को प्रयासरत है। हर जाति-वर्ग के श्रद्धालुओं के बूते बाकी सीटों के सियासी समीकरण साधने की भी कोशिश हो रही है।

दुर्वासा धाम जीर्णोद्धार कार्यक्रम के आयोजक डा. पीयूष यादव पूर्व सरकारों पर ध्रुवीकरण और तुष्टीकरण की राजनीति के फेर में दुर्वासा धाम की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हैं। अब 2022 के चुनावी नतीजे बताएंगे कि बेहद क्रोधी स्वभाव की पहचान वाले दुर्वासा ऋषि इस भाजपाई प्रयास से कितने प्रसन्न हुए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें