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कृषि कानूनों की वापसी भी नहीं दूर कर पाएगी BJP-SAD की दूरी, चुनाव में गठबंधन मुश्किल

कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बीच सुलह होने के आसार नहीं हैं। अकालियों की तरफ से मिल रहे संकेतों से साफ है कि आगामी पंजाब विधानसभा के चुनावों में अकाली दल बसपा...

कृषि कानूनों की वापसी भी नहीं दूर कर पाएगी BJP-SAD की दूरी, चुनाव में गठबंधन मुश्किल
विशेष संवाददाता हिन्दुस्तान,नई दिल्लीMon, 22 Nov 2021 06:24 AM

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कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बीच सुलह होने के आसार नहीं हैं। अकालियों की तरफ से मिल रहे संकेतों से साफ है कि आगामी पंजाब विधानसभा के चुनावों में अकाली दल बसपा के साथ ही मैदान में उतरेगा। भाजपा के साथ आने की फिलहाल संभावना नहीं है।

दरअसल, कृषि कानूनों को लेकर भाजपा और अकाली दल की करीब 20 साल पुरानी दोस्ती टूट गई थी। अकाली दल ने न सिर्फ केंद्रीय मंत्रिमंडल छोड़ दिया था बल्कि एनडीए से भी अलग हो गया था। दोनों में तल्खी भी बढ़ गई। लेकिन कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के साथ ही करीब-करीब यह विवाद अब खत्म हो चुका है। लेकिन, अकाली दल के वरिष्ठ नेता नरेश गुजराल कहते हैं कि भाजपा के साथ चुनाव में जाने के आसार नहीं हैं।

‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में गुजराल ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी अकाली दल के रुख की भी जीत है। इससे सूबे की राजनीति में उन्हें बढ़त मिलेगी। दल ने केंद्र से अलग होकर किसानों के साथ खड़ा होकर दिखाया। लेकिन भाजपा ने अपने 20 साल पुराने सहयोगी की परवाह नहीं की। यह भाजपा सरकार की ज्यादती थी। इसलिए यह तल्खी जल्दी खत्म नहीं हो सकती है।

वे कहते हैं कि यह सोचना कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद दोनों दल फिर से साथ आ जाएंगे, कहना जल्दबाजी होगी। यह इतना आसान भी नहीं है। क्योंकि चुनाव निकट है तथा हमारा बसपा से गठबंधन हो चुका है और वह जारी रहेगा। इसलिए मौजूदा चुनाव में भाजपा से गठबंधन कर साथ चुनाव लड़ने के आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं। लेकिन आगे जाकर क्या होगा, यह अभी कहना संभव नहीं है। वैसे, राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता है। पार्टी का संसदीय दल जब जैसा निर्णय लेगा, उसी के अनुरूप आगे बढ़ा जाएगा।

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