केरल में अपनी एकमात्र सीट भी जीतने में नाकाम रही BJP, 35 सीटें जीतने का किया था दावा
केरल विधानसभा चुनाव में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा करने वाला भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अपनी एकमात्र नेमोम सीट भी नहीं बचा पाया और मेट्रोमैन के नाम से प्रसिद्ध ई श्रीधरन और पार्टी की राज्य इकाई...
केरल विधानसभा चुनाव में कम से कम 35 सीटें जीतने का दावा करने वाला भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए अपनी एकमात्र नेमोम सीट भी नहीं बचा पाया और मेट्रोमैन के नाम से प्रसिद्ध ई श्रीधरन और पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के सुरेंद्रन समेत उसके सभी बड़े उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।
केरल की राजधानी स्थित नेमोम सीट पर पुन: जीत हासिल करने की जिम्मेदारी मिजोरम के पूर्व राज्यपाल कुमानम राजशेखरन के कंधों पर थी, लेकिन वह 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले पार्टी नेता ओ राजागोपाल की तरह जादू चलाने में नाकाम रहे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) उम्मीदवार वी सिवनकुट्टी ने 3,949 मतों के अंतर से राजशेखरन को हराया। इससे पहले 2016 में सिवनकुट्टी को राजागोपाल ने मात दी थी।
नेमोम सीट पर जीत बरकरार रखना भगवा दल के लिए प्रतिष्ठा की बात थी, क्योंकि सत्तारूढ़ माकपा ने 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को पैर जमाने से रोकने से कोई कसर नहीं छोड़ी। चुनाव से मात्र एक सप्ताह पहले मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि माकपा राज्य में भाजपा की एकमात्र सीट को भी इस बार छीन लेगी। अपनी एकमात्र नेमोम सीट हारने के अलावा, भगवा दल पलक्कड़, मालमपुझा, मांजेश्वरम और काझाकुट्टम जैसी अहम सीटों पर भी खास प्रदर्शन नहीं कर पाई। 88 वर्षीय श्रीधरन ने पलक्कड़ सीट पर शुरुआती बढ़त हासिल कर ली थी, लेकिन अंतत: युवा विधायक शफी परमबिल ने उन्हें 3,859 मतों के अंतर से हरा दिया। भाजपा ने चुनाव में कम से कम 35 सीट जीतने का दावा किया था, लेकिन वह खाता भी नहीं खोल पाई।