झारखंड में इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण रहने वाला है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना औऱ बीजेपी मिलकर लड़ी थी। बीजेपी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। 288 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। भाजपा और शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला, लेकिन मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के तत्कालीन प्रमुख उद्धव ठाकरे और भाजपा के बीच मतभेद उभर आए। सत्ता-साझेदारी को लेकर हुए विवाद ने गठबंधन को तोड़ दिया, जिसके बाद शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन किया और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। 2022 में शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा संकट खड़ा हो गया। शिंदे गुट ने शिवसेना के कई विधायकों के समर्थन से पार्टी पर नियंत्रण करने की कोशिश की। इस घटनाक्रम के बाद उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई और एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ गठबंधन करके मुख्यमंत्री पद संभाल लिया, जबकि देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। 2023 में राज्य की राजनीति में एक और बड़ा बदलाव तब आया जब एनसीपी में विभाजन हो गया। शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पार्टी के एक बड़े धड़े को लेकर भाजपा-शिंदे गठबंधन का समर्थन किया और उपमुख्यमंत्री बने। अब नवंबर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव इस राजनीतिक अस्थिरता के बादलों को साफ करने का अवसर देंगे और राज्य की जनता यह तय करेगी कि अगले पांच साल तक सत्ता किसके हाथों में होगी। सत्ता पक्ष में शिवसेना (शिंदे गुट), एनसीपी (अजित गुट) और भाजपा का गठबंधन सत्ता बचाने की कोशिश में है, वहीं शिवसेना (उद्धव गुट), कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन विपक्ष में मजबूत वापसी की तैयारी कर रहा है।
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