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नाला विधानसभा सीट-8 : इस बार त्रिकोणीय जंग के आसार

  नाला विधानसभा सीट भाजपा, झामुमो व सीपीआई के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। चुनाव की घोषणा से पूर्व ही सियासी तापमान बढ़ने लगा है। झामुमो के कब्जे वाली सीट पर अपनी पुनः वापसी करने के लिए...

नाला विधानसभा सीट-8 : इस बार त्रिकोणीय जंग के आसार
उज्जवल ,जामताड़ाTue, 22 Oct 2019 07:57 PM
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नाला विधानसभा सीट भाजपा, झामुमो व सीपीआई के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। चुनाव की घोषणा से पूर्व ही सियासी तापमान बढ़ने लगा है। झामुमो के कब्जे वाली सीट पर अपनी पुनः वापसी करने के लिए मुख्यमंत्री एक दिन में कई सभा कर चुके हैं। उनका मकसद राज्य सरकार की योजनाओं को बताने के साथ साथ झामुमो नेताओं पर हमला करना था। वहीं, झामुमो के नेता एसपीटी एक्ट में संशोधन के कथित प्रस्ताव, आदिवासियों की जमीन का अधिग्रहण, स्थानीय नीति तथा विकास कार्यों में सरकार द्वारा नाला क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए क्षेत्र में जुटे हैं। अभी तक यह माना जा रहा है कि झामुमो से स्थानीय विधायक रवींद्रनाथ महतो ही प्रत्याशी होंगे, जबकि भाजपा में दावेदारों की लंबी सूची है। पिछली बार झाविमो के टिकट से चुनाव लड़े माधवचंद्र महतो तीसरे नंबर पर रहे थे, वह भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसलिए भाजपा को उम्मीद है कि उसके लिए वापसी आसान होगी। सीपीआई की ओर से कन्हाई माल पहाड़िया संभावित प्रत्याशी माने जा रहे हैं और उनका भी प्रयास है कि वह अपनी पार्टी की खोई जमीन को पुनः हासिल कर लाल झंडा को मजबूत करें।

राजनीतिक इतिहास

नाला विधानसभा क्षेत्र के चुनाव पर कभी बंगाल की राजनीति का असर दिखता था। इस सीट के गठन के बाद से ही कम्युनिस्ट पार्टी यहां दमखम दिखाती रही है। 1962 में विश्वेश्वर खां सीपीआई के टिकट से विजयी हुए। 1990 तक वे लगातार विधायक रहे। 1990 से 1995 तक कांग्रेस से राजकुमारी हिम्मत सिंहका विधायक बनीं। इसके बाद  पुनः कम्युनिस्ट पार्टी के विश्वेश्वर खां ने फिर इस सीट पर कब्जा किया। 2005 में झामुमो के टिकट पर रवींद्र नाथ महतो ने विश्वेश्वर खां को पराजित किया। 2009 में बीजेपी के सत्यानंद झा ने रवींन्द्र महतो को पराजित किया। 2014 में झामुमो के रवींद्र नाथ महतो ने भाजपा के सत्यानंद झा बाटुल को पराजित किया।

विधानसभा क्षेत्र की विशेषता

पश्चिम बंगाल सीमा पर स्थित नाला विधानसभा क्षेत्र मुख्य रूप से खेती के लिए जाना जाता है। यहां के लोग मुख्य रूप से धान और सब्जी की खेती करते हैं। क्षेत्र में काजू की खेती भी की जाती है। बांग्ला भाषा भाषी इस क्षेत्र के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के भी होते हैं यहां का देवलेश्वर धाम प्रसिद्ध मंदिर है। सरकार इस मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है।

दावेदार कौन-कौन

झामुमो से वर्तमान विधायक रवींद्रनाथ महतो, भाजपा से माधव चंद्र महतो, सत्यानंद झा उर्फ बाटुल व प्रवीण प्रभाकर, सीपीआई से कन्हाई माल पहाड़िया।

लोकसभा चुनाव में आगे थी भाजपा

नाला विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। गत लोकसभा चुनाव में भाजपा 33850 वोटों से झामुमो से आगे थी। भाजपा को 91121 और झामुमो को 57271 वोट मिले थे।

कुल वोटर: 218248

पुरुष -114098

महिला-104159

2014 में मतदान-80.3

 

2014 में प्राप्त मत:

रवीन्द्र नाथ महतो (झामुमो)- 56131

सत्यानंद झा उर्फ बाटुल (भाजपा)- 49116

माधवचंद्र महतो (झाविमो)- 23700

कन्हाई माल पहाड़िया (सीपीआई)- 19416

तापस चटर्जी (निर्दलीय)- 3388

अशोक मांजी (निर्दलीय)- 2042

दावे प्रतिदावे

रवीन्द्रनाथ महतो, विधायक का कहना है कि  पांच साल में मैंने 350 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करवाया है। डिग्री कॉलेज की स्वीकृति दिलाई। भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। मैंने संवेदनशील होकर सभी जरूरी कार्य किए हैं। इसलिए जनता मुझे वोट करेगी। 

माधवचंद्र महतो, तीसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी का कहना है कि  विधायक ने क्षेत्र में किसी भी प्रकार के विकास कार्य नहीं किए हैं। यहां जस की तस समस्या बनी हुई हैं। मैं 25 वर्ष से लोगों से जुड़ा हुआ हूं। इसलिए पार्टी टिकट देती है तो इस बार जनता मुझे आर्शीवाद देगी।

बोले वोटर

नाला विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य हुए हैं। लेकिन अभी भी काफी कार्य किए जाने चाहिए, ताकि जनता को सहूलियत हो। रोजी-रोजगार की दिशा में पहल किए जाने की आवश्यकता है।

-सुबल महतो, जामदही

 

पूरे क्षेत्र में सिंचाई, स्वास्थ्य, रोजगार सहित अन्य सुविधाओं का अभाव है। अफजलपुर सहित पूरे पूर्वांचल में सिंचाई की स्थिति बदहाल है। किसान बरसात के भरोसे हैं। इसके अलावा पूर्वांचल को जोड़ने वाली सड़क बदहाल है।

­-बाबू मंडल, वर्द्धनडंगाल

 

प्रखंड क्षेत्र में रोजी-रोजगार की दिशा में पहल होनी चाहिए। लोग पलायन करने को विवश हैं। औद्योगिक इकाई स्थापित करने से ही विकास होगा। किसानों की स्थिति बदहाल है।

-प्रवीर कुमार घोष, दलाबड़

 

सरकार को विधवा महिलाओं के लिए भी सोचना चाहिए। आवास मिलने चाहिए। पेंशन राशि में बढ़ोतरी करनी चाहिए। क्षेत्र में कई बड़े काम हुए हैं मगर अभी और होने की जरूरत है।

-छाया बाउरी, गोपालपुर 

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