झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 : भाजपा के गढ़ को भेदना विपक्ष के लिए चुनौती
तीसरे चरण में भाजपा को अपना गढ़ बचाना, तो विपक्ष को गढ़ भेदने की चुनौती होगी। इस चरण में खास बात यह है कि भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक दूसरे दल के तीन विधायकों को अपने पाले में ले लिया...
तीसरे चरण में भाजपा को अपना गढ़ बचाना, तो विपक्ष को गढ़ भेदने की चुनौती होगी। इस चरण में खास बात यह है कि भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक दूसरे दल के तीन विधायकों को अपने पाले में ले लिया है। इसलिए भाजपा के पास गिनाने के लिए तीन सीटें अधिक हो गई हैं।
सबसे अधिक भाजपा के पास सीट : तीसरे चरण की 17 सीटों में 2014 चुनाव में भाजपा ने सात सीटों पर कब्जा जमाया था। तीन सीट झामुमो व तीन सीट झाविमो ने झटक लिया था। जबकि कांग्रेस के पास दो और आजसू व सीपीआई ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की थी। 2014 विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद भाजपा में झाविमो के छह विधायक शामिल हुए थे। इनमें बरकट्ठा से जानकी यादव, सिमरिया गणेश गंझू और हटिया से नवीन जायसवाल भी थे। वहीं, चुनाव से पहले झामुमो के मांडू से जेपी पटेल और कांग्रेस के बरही के मनोज यादव भाजपा में शामिल हुए। इस तरह भाजपा के पास अभी कुल 12 सीटें हो गई है।
भाजपा को 12 सीट बचाने की चुनौती: भाजपा के सामने इस बार 12 सीट बचाने की चुनौती है। वहीं, झाविमो, झामुमो और कांग्रेस को 2014 से बेहतर करने की चुनौती है। उधर, आजसू भी भाजपा से अलग होकर चुनाव मैदान में है।
भाजपा को विपक्षी दलों के साथ-साथ अपने सहयोगी दल रहे आजसू के साथ भी दो चार होना होगा। सभी दल ने एकदूसरे का किला-भेदने के लिए एड़ीचोटी का जोड़ लगा रखा है।