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हिमाचल में 70% से अधिक वोटिंग पर बदलती है सत्ता, इस बार होगा बदलाव या जारी रहेगी परंपरा

चुनाव परिणाम को अभी दो हफते का समय शेष है। इस बार 75.60 फीसदी वोटिंग ने पिछले तमाम रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। इतिहास गवाह है कि प्रदेश में जब जब भी मतदान 70 प्रतिशत से उपर हुआ है

हिमाचल में 70% से अधिक वोटिंग पर बदलती है सत्ता, इस बार होगा बदलाव या जारी रहेगी परंपरा
Swati Kumariलाइव हिंदुस्तान,शिमलाTue, 22 Nov 2022 05:14 PM

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हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हुई रिकार्ड वोटिंग ने सियासतदानों के साथ आम जनमानस को भी हैरत में डाल दिया है। बम्पर वोटिंग के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। भाजपा इसे डबल इंजन के विकास को श्रेय दे रही है तो कांग्रेस ने एंटी इंकमबेसी का नतीजा करार दिया है। 

चुनाव परिणाम को अभी दो हफते का समय शेष है। इस बार 75.60 फीसदी वोटिंग ने पिछले तमाम रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। इतिहास गवाह है कि प्रदेश में जब जब भी मतदान 70 प्रतिशत से उपर हुआ है, लोगों ने सता बदलने के लिए वोट डाले हैं। यदि हिमाचल प्रदेश के पिछले 6 विधानसभा चुनावों में पड़े वोटों के प्रतिशत पर नजर दौड़ाएं तो जब जब भी मतदाता ने 70 प्रतिशत की सीमा को पार किया है प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है।

वर्ष 1993 में साढ़े 71 प्रतिशत मतदान हुआ तो शांता सरकार  की बर्खास्तगी के बाद आए राष्ट्पति शासन में चुनाव हुए व वीरभद्र सिंह की सरकार बनी। वर्ष 1998 में सवा 71 प्रतिशत वोट पड़ेतो वीरभद्र सिंह की सरकार सता से बाहर हो गई व सत्ता भाजपा हिविकां को मिल गई व प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बन गए। 

वर्ष 2003 में प्रतिशत साढ़े 74 प्रतिशत हो गया तो धूम धड़ाके से फिर वीरभद्र सिंह की सरकार आ गई। वर्ष 2007 में फिर बाजी पलट गई क्योंकि इस बार प्रदेश के साढ़ेे 72 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया था और विशुद्ध तौर पर भाजपा की सरकार प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में बनी। वर्ष 2012 में साढ़ेे 73 मतदाता घरों से मतदान केंद्र तक पहुंचे और सरकार पलट डाली व अच्छे बहुमत से कांग्रेस को सत्ता में ला दिया। वर्ष 2017 में सबसे अधिक साढ़ेे 75 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना मत डाला और कांग्रेस को बुरी तरह से हराया व भाजपा को सत्ता सौंप दी। पहली बार मंडी को मुख्यमंत्री पद का सम्मान मिला इस बार फिर से मतदाता ने खूब वोट डाले हैं। अब क्यों और क्या सोच कर डाले इसका खुलासा तो 8 दिसंबर को ही होगा।

भाजपा पहले से ही यह नारा देते आ रही है कि हर पांच साल बाद सरकारें बदलने का जो रिवाज हिमाचल प्रदेश में कई सालों से चल रहा है वह बदलना होगा। इस बार रिवाज बदलेगा और सरकार फिर से भाजपा की बनेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस का नारा है कि रिवाज नहीं ताज बदलेगा। अब देखना है जनता ने किसके कहे को मानते हुए अपना जनादेश दिया है।

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