अतीत के झरोखे से : पहले के चुनावों में दिखती थी उम्मीदवारों की सादगी
वर्ष 1982 में पहली बार मतदान करने वाले बुजुर्ग राष्ट्र दहिया का कहना है कि चुनाव पहले से काफी अलग हो गए हैं। पहले चुनाव में प्रत्याशियों की सादगी की झलक दिखती थी। उम्मीदवार जनता की समस्याओं के...
वर्ष 1982 में पहली बार मतदान करने वाले बुजुर्ग राष्ट्र दहिया का कहना है कि चुनाव पहले से काफी अलग हो गए हैं। पहले चुनाव में प्रत्याशियों की सादगी की झलक दिखती थी। उम्मीदवार जनता की समस्याओं के आधार पर ही समर्थन मांगता था, अब ताकत का प्रदर्शन होता है।
राष्ट्र दहिया का कहना है कि चुनाव की घोषणा के बाद उम्मीदवारों को प्रचार के लिए और जनसभाएं करने के लिए काफी समय मिलता था। घर-घर जाकर उम्मीदवार लोगों से मेल-मिलाप करते थे। उनकी समस्याएं सुनते थे और क्षेत्र की समस्याओं पर चुनाव लड़ते थे।
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सूर्य विहार के रहने वाले दहिया ने बताया कि अब उम्मीदवारों में सेवाभाव नहीं दिखता और न ही चुनाव में आम लोगों की बुनियादी समस्याओं की गूंज सुनाई देती है। इस तरह अब चुनाव का तरीका पूरी तरह बदल गया है। नुक्कड़ सभाओं के बजाय सोशल मीडिया के जरिये प्रचार हो रहा है। उम्मीदवारों के समर्थकों की जगह पार्टियों के आईटी सेल ने ले ली है। जनता से मेल-जोल अब फोन और व्हाट्सएप पर वोट डालने के लिए मैसेज भेजने तक ही सिमट कर रह गया है। अब उम्मीदवार जनता तक नहीं पहुंचते हैं।
परिचय : राष्ट्र दहिया
आयु: 63 वर्षीय
निवासी : सूर्य विहार
पहली बार मतदान: 1982
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