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सहरसा विधानसभा सीट: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन और एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न

सहरसा विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन व एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनेगी। हालांकि इस सीट पर अभी राजद का कब्जा है, लेकिन पिछली बार की अपेक्षा इस बार समीकरण अलग है। पिछली बार जहां जदयू राजद के साथ...

सहरसा विधानसभा सीट: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन और एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न
सहरसा, कुमार नीरजTue, 01 Sep 2020 04:47 PM
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सहरसा विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन व एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनेगी। हालांकि इस सीट पर अभी राजद का कब्जा है, लेकिन पिछली बार की अपेक्षा इस बार समीकरण अलग है। पिछली बार जहां जदयू राजद के साथ था। इस बार जदयू एनडीए गठबंधन में है।

जातीय समीकरण व पिछले चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन को देखते हुए सहरसा विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। वर्तमान महागठबंधन की पार्टियों का ही शुरुआत से इस पर कब्जा रहा है। हालांकि 2005 के चुनाव व चार महीने बाद हुए उपचुनाव के अलावा 2010 में भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा। इन चुनावों में जदयू का समर्थन था। जबकि 2015 में जदयू व राजद का गठबंधन था। 3 लाख 61 हजार 948 मतदाता वाले इस विधानसभा सीट पर चुनावी तैयारियों में महागठबंधन के साथ-साथ एनडीए भी जुटा है। 

यादव मतदाता बहुल वाली इस सीट पर जातीय समीकरण के अलावा शहरी क्षेत्र का भी काफी प्रभाव है। जानकारों की मानें तो सिर्फ एक जाति के आधार पर इस सीट पर कब्जा पाना मुश्किल है। 2010 में परिसीमन के बाद जहां इस सीट पर भाजपा के आलोक रंजन विजयी रहे, वहीं 2015 में इस सीट पर राजद के अरुण कुमार विजयी हुए। हालांकि 2020 को लेकर भाजपा अपनी सीट मानकर चुनाव की तैयारियों में जुटी है। वहीं, राजद भी महागठबंधन को साथ लेकर चुनावी लड़ाई की तैयारियों में जुट गया है।

छह बार कांग्रेस का रहा है कब्जा
सहरसा विधानसभा सीट पर सबसे अधिक छह बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस के कद्दावर नेता रमेश झा सबसे अधिक पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हालांकि चार बार वे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते, जबकि एक बार पीएसपी के उम्मीदवार के रूप में विजयी रहे। उन्हें दो बार इस सीट से शिकस्त मिली। पहली बार 1957 में विश्वेसरी देवी उन्हें हराकर विजय प्राप्त की थी। वहीं, उन्हें जनता दल के उम्मीदवार शंकर प्रसाद टेकरीवाल से शिकस्त मिली। उसके बाद इस सीट पर एक बार और कांग्रेस को जीत मिली है। इस सीट से शंकर प्रसाद टेकरीवाल दो बार जनता दल, एक बार राजद व एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर चुके हैं।

सहरसा विधानसभा की पहचान
लगभग दो किलोमीटर में फैली मत्स्यगंधा झील व रक्तकाली चौसठ योगिनी मंदिर यहां की पहचान है। हालांकि बैजनाथपुर का आज तक शुरू नहीं होने वाला पेपर मिल भी इस विधानसभा क्षेत्र की पहचान कही जा सकती है। इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग आधे मतदाता शहरी क्षेत्र के हैं।

1957: विश्वेसरी देवी
1962: रमेश झा
1967: रमेश झा
1972­   : रमेश झा
1977: शंकर प्रसाद टेकरीवाल
1980: रमेश झा
1985: सतीश झा
1990: शंकर प्रसाद टेकरीवाल
1995: शंकर प्रसाद टेकरी
2000: शंकर प्रसाद टेकरीवाल
2005(फरवरी): संजीव कुमार झा
2005(अक्टूबर): संजीव कुमार झा
2010: आलोक रंजन
2015: अरुण कुमार

सहरसा विधानसभा में कुल मतदाता: 3 लाख 61 हजार 948
महिला वोटर: 173406
पुरुष वोटर:188541
यादव मतदाता सबसे अधिक, उसके बाद ब्रह्मण, वैश्य व शर्मा

प्रखंड: 2(कहरा व सौरबाजार)
पंचायत: 32
नगर परिषद वार्ड: 40

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