बिहार विधानसभा चुनाव 2020: माले के महागठबंधन में जाने पर लगा प्रश्नचिह्न
महागठबंधन में भाकपा (माले) के शमिल होने का मामला फंस गया है। पार्टी ने सीट शेयरिंग के राजद के प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है। साथ ही, पार्टी अपने आधार वाली सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी में जुट गई...
महागठबंधन में भाकपा (माले) के शमिल होने का मामला फंस गया है। पार्टी ने सीट शेयरिंग के राजद के प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है। साथ ही, पार्टी अपने आधार वाली सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी में जुट गई है।
माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने शुक्रवार को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि उनकी पार्टी ने प्रस्ताव खारिज कर इसकी सूचना पत्र के माध्यम से राजद को दे दी है। हालांकि गठबंधन को लेकर बात अभी बंद नहीं हुई है, लेकिन अटक जरूर गई है। वर्ष 2015 के चुनाव को आधार मानकर सीट का बंटवारा उन्हें कत्तई मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा की लगभग सौ सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। लेकिन गठबंधन में जाने के लिए हमने 53 सीटों की सूची राजद को दी थी। बाद में राजद ने जो प्रस्ताव दिया, वह मंजूर नहीं है। उन्होंने राजद की ओर से दी जाने वाली सीटों का खुलासा नहीं किया लेकिन इतना जरूर कहा कि वह जिन सीटों पर चुनाव जीता है उसमें कई विधायक दूसरे दलों में चले गये हैं। निचले स्तर पर भी कार्यकर्ताओं ने दल बदला है। पिछले विधानसभा में उनके साथ जदयू भी था। लिहाजा ना वह पहले वाला गठबंधन है और ना वह परिस्थिति। ऐसे में उस चुनाव को आधार मानना सही नहीं है।
भट्टाचार्या ने कहा कि यह चुनाव आंदोलन का रूप होगा। बेरोजगार व छात्र युवक सड़क पर उतर गये हैं। आरोप लगाया वर्तमान सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया है।