बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के लिए कल यानी मंगलवार को वो डाले जाएंगे। इस फेज में मिथिला के कई सीटों पर वोटिंग होनी है। विधानसभा चुनाव में मिथिला में दोनों ही गठबंधन के बीच कांटे की लड़ाई होती आई है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को गरीबों के लिए चलाई गई कल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील की बदौलत जीत की उम्मीद है।
बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी की अगुवाई वाली महागठबंधन को बेरोजगारी के मुद्दे को भुनाकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ "सत्ता-विरोधी लहर" के सहारे अपनी चुनावी नैया पार हो जाने की आस है। वहीं, एनडीए का मानना है कि पिछड़े क्षेत्र दरभंगा में एयरपोर्ट (Darbhanga Airport) और एम्स (Darbhanga AIIMS) समेत अन्य कल्याणकारी और विकास योजनाओं का लाभ जनता को मिला है, जिससे तिरहुत और इलाके के अन्य क्षेत्रों में अगले दो चरणों में होने वाले चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन को मदद मिलेगी।
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आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर नीतीश कुमार तक मिथिला क्षेत्र के अपने चुनावी भाषणों में इन दो बड़ी परियोजनाओं का जिक्र करना नहीं भूलते हैं। और फिर से बिहार में एनडीए की सरकार बनाने की अपील करते हैं। इसका श्रेय एनडीए के नेता डबल इंजन (केंद्र और बिहार) वाली सरकार को दोते हैं। हाल ही में दरभंगा के बेनीपुर में चुनाव प्रचार करने पहुंचे नीतीश कुमार ने इस बात को दोहराया कि मिथिला के विकास के बिना बिहार का विकास संभव नहीं है। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और नीतीश कैबिनेट में मंत्री संजय झा लगातार अपने भाषणों में कहते हैं कि डबल इंजन वाली सरकार के कारण ही दरभंगा में ये दोनों प्रोजेक्ट संभव हो पाया।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत दरभंगा एयरपोर्ट को नागरिक सेवा के लिए तैार किया जा रहा है। आठ नवंबर से यहां से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लिए फ्लाइट सर्विस शुरू हो जाएगी। साथ ही विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय कैबिनेट में दरभंगा में एम्स निर्माण की भी मंजूरी दे दी।
बाढ़ की मार झेलता रहा और अत्यंत पिछड़े समुदाय (ईबीसी) के एक बड़े वर्ग जिनकी संख्या मिथिला में यहां के कई विधानसभा क्षेत्रों में राज्य के औसत से अधिक हैं। ईबीसी समुदाय से आने वाले दरभंगा नगर निवासी श्रवण दास ने केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा, ''जिसका खाएंगे, उसी का गाएंगे''।
मुजफ्फरपुर जिला के गायघाट विधानसभा क्षेत्र के बेरुआ गांव निवासी भी केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं की प्रशंसा कर रहे हैं । इस गांव के एक व्यक्ति ने कहा, ''सरकार हमें पैसा, खाना और रसोई गैस सिलेंडर दिया, और क्या चाहिए।''
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सिमरी पंचायत के दलित समुदाय से आने वाले राजेंद्र राम हालिया बाढ़ और कोरोनोवायरस संकट की पृष्ठभूमि में केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के तहत कई अन्य ग्रामीणों की तरह नकद हस्तांतरण लाभ नहीं मिलने पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं, लेकिन स्थानीय सरकार को उसके दर्द के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्होंने कहा, "मोदी हर किसी के साथ समान व्यवहार करते हैं। लेकिन हमारा समाज और ग्रामीण हमारे साथ भेदभाव करते हैं। मैं इसके लिए मोदी को दोषी नहीं ठहराऊंगा।"
मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर की दलित कॉलोनी की रहने वाली आशा देवी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा प्रदेश के विकास के लिए किए गए कार्यों के बारे में पूछे जाने पर कहती हैं, "मैं कैसे कह सकती हूं कि उन्होंने काम नहीं किया है। लेकिन जब हम कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे थे तो उस दौरान उन्होंने खुद को अपने घर तक सीमित रखा। उन्होंने प्रवासियों के घर लौटने का विरोध किया।"
(एजेंसी इनपुट के साथ)