बिहार चुनाव 2020: पुराने नेताओं से परहेज करने लगी कांग्रेस, पहली बार सभी विंग के अध्यक्षों को मैदान में उतारा
महागठबंधन में कांग्रेस को अधिक सीटें मिलीं तो पार्टी ने सभी विंग के अध्यक्षों को मैदान में उतार दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तो खुद एमएलसी का चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन दूसरे सभी विंग के अध्यक्ष...
महागठबंधन में कांग्रेस को अधिक सीटें मिलीं तो पार्टी ने सभी विंग के अध्यक्षों को मैदान में उतार दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तो खुद एमएलसी का चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन दूसरे सभी विंग के अध्यक्ष विधानसभा चुनाव का टिकट पा गये हैं। कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है। पार्टी ने सबसे अधिक युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसका लाभ युवा नेताओं को सबसे अधिक हुआ पर छात्र संगठन एनएसयूआई को एक भी सीट नहीं मिली।
कांग्रेस के प्रत्याशियों का चयन यह दर्शाता है कि वह अब अपने पुराने नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने से परहेज करने लगी है। उसका भरोसा अपने युवा नेताओं पर अधिक है। पार्टी के चार कार्यकारी अध्यक्षों में सिर्फ एक को ही टिकट मिल सका है। उधर, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विनीता भूषण बेगूसराय से चुनाव लड़ रही हैं। अनुसूचित जाति/जन जाति विभाग के अध्यक्ष राजेश राम कुटुम्बा से उम्मीदवार हैं। ये दोनों नेता दूसरी बार मैदान में हैं। इसके पहले 2015 के चुनाव में भी इन नेताओं ने जीत हासिल की थी। आईटी सेल के अध्यक्ष ई. संजीव को भी इस बार टिकट मिला है।
युवा कांग्रेस की राज्य में कमान संभालने वाले तीन नेता चुनाव मैदान में हैं। अध्यक्ष गुंजन पटेल नालंदा से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व अध्यक्ष ललन यादव सुल्तानगंज तो नगेन्द्र कुमार पासवान विकल रोसड़ा से चुनाव मैदान में हैं। चौथे उम्मीदवार के रूप में गत बार चुनाव लड़ने वाले पूर्व अध्यक्ष कुमार अशीष का नाम भी बांकीपुर से तय था, लेकिन अंतिम समय में उनका टिकट शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा झटक ले गये।
पार्टी ने पुराने नेताओं में श्याम सुन्दर सिंह धीरज, कौकब कादरी को भी टिकट नहीं दिया। पुराने दिग्गज नेता कपिल देव प्रसाद यादव भी पटना के कुम्हरार सीट से चुनाव लड़ने से वंचित हो गये। विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और पूर्व मंत्री अवधेश कुमार सिंह की जगह उनके पुत्रों को क्रमश: कहलगांव और वजीरगंज से चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावे पार्टी के लगभग एक दर्जन उम्मीदवारों की उम्र 40 साल के आसपास है। दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरे औरंगाबाद के आनंद शंकर की उम्र तो 40 से भी कम है।