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बिहार में थम नहीं रही बागियों के खिलाफ कार्रवाई, बीजेपी ने फिर 6 नेताओं को पार्टी से निकाला

दल के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ने वाले छह नेताओं को भाजपा ने निष्कासित कर दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जाययसवाल की सहमति पर इन नेताओं को दल से छह साल के लिए निष्कासित किया गया है। प्रदेश...

बिहार में थम नहीं रही बागियों के खिलाफ कार्रवाई, बीजेपी ने फिर 6 नेताओं को पार्टी से निकाला
पटना, हिन्दुस्तान टीमThu, 29 Oct 2020 10:36 PM
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दल के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ने वाले छह नेताओं को भाजपा ने निष्कासित कर दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. संजय जाययसवाल की सहमति पर इन नेताओं को दल से छह साल के लिए निष्कासित किया गया है।

प्रदेश मुख्यालय प्रभारी सुरेश रूंगटा ने कहा कि जिन नेताओं को दल से निकाला गया है उसमें सीवान से जितेन्द्र स्वामी, परसा छपरा से राकेश कुमार सिंह, हाजीपुर से प्रो. अजीत कुमार सिंह, लालगंज वैशाली से संजय सिंह, नरकटियागंज से रेणु कुमारी और अररिया के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह बबन शामिल हैं। निष्कासित सभी छहों नेता एनडीए के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। उनके इस कृत्य को दल के अनुशासन के खिलाफ माना गया और यह कार्रवाई की गई।

बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा सबसे अधिक बागियों की बगावत से परेशान है। अब तक पार्टी ने मुख्यालय स्तर पर 43 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया है। ये ऐसे नेता हैं, जो मौजूदा या पूर्व विधायक के अलावा प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी हैं। अगर जिलास्तरीय इकाइयों से निष्कासित नेताओं को शामिल करें तो बागियों की संख्या कहीं और अधिक है। भाजपा के गठन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब दल के खिलाफ जाकर इतनी बड़ी संख्या में बागी चुनावी मैदान में डटे हैं। इन बागियों में ढाई दर्जन जदयू के खिलाफ तो दर्जन भर प्रत्याशी भाजपा के खिलाफ ही चुनावी मैदान में डटे हैं।

भाजपा का नारा पार्टी विथ डिफरेंस का है। चुनाव में उम्मीदवार घोषित होने तक पार्टी नेताओं में मतभिन्नता होती रही है। लेकिन जैसे ही आलाकमान की ओर से किसी नेता को उम्मीदवार बना दिया जाता है, सभी आपसी मतभेद भूलाकर पार्टी को जीत दिलाने में लग जाते हैं। लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया। सीट गठबंधन के अन्य घटक दलों के हिस्से में जाने पर भाजपा के नेताओं ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया और चुनावी मैदान में डटे हैं। दर्जन भर सीटों पर ऐसी स्थिति है कि जहां भाजपा के नेता पार्टी की ओर से घोषित अधिकृत उम्मीदवार का नाम सामने आते ही बगावत कर अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में डटे हैं।

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