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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: खगड़िया और भागलपुर में पानी ही परेशानी, पानी ही जिंदगानी

भागलपुर और खगड़िया जिले को सीधी सड़क से जोड़ने के लिए अगुवानी और सुल्तानगंज के बीच गंगा पर पुल बनना अभी शुरू ही हुआ है, मगर ये जिले बोली के जरिए पहले से जुड़े हैं। अंगिका भाषी दोनों जिलों में...

बिहार विधानसभा चुनाव 2020: खगड़िया और भागलपुर में पानी ही परेशानी, पानी ही जिंदगानी
 भागलपुर, भवेश चंदMon, 02 Nov 2020 07:47 AM
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भागलपुर और खगड़िया जिले को सीधी सड़क से जोड़ने के लिए अगुवानी और सुल्तानगंज के बीच गंगा पर पुल बनना अभी शुरू ही हुआ है, मगर ये जिले बोली के जरिए पहले से जुड़े हैं। अंगिका भाषी दोनों जिलों में इत्तफाकन दूसरे चरण में एक साथ चुनाव है। पांच सीटें भागलपुर जिले की तो चार सीटें खगड़िया जिले की। जिले दो जरूर हैं, मगर इन नौ सीटों में बहुत सारी बातें एक-सी हैं।

गंगा नदी और उसके समानांतर दौड़ते एनएच-31 के किनारे दोनों जिले की कम से कम चार सीटें हैं। उधर से खगड़िया और बेलदौर तो इधर से भागलपुर, बिहपुर, गोपालपुर और पीरपैंती। इन जिलों से गंगा के अलावा कोसी समेत अन्य कई छोटी नदियां बहती हैं। इन नदियों का पानी ही परेशानी का सबब भी है। खगड़िया का फरकियां यूं ही नहीं कहा जाता। पानी ही तो इलाके को टुकड़ों-टुकड़ों में फरक कर देता है। और हां, पानी ही जिंदगानी भी है इन जिलों के लिए। कृषि पर आश्रित लोगों की इकहरी फसल इस पानी के बूते होती है। दूसरी फसल बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है, यह भी सच है। 

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दियारे में हर साल डूबती फसलें, कटाव की जद में जाती उपजाऊ और बास की जमीन, पानी के प्रहार से ध्वस्त होती सड़कों के कारण आने-जाने के मुश्किलात झेलते यहां के लोग जद्दोजहद करना जानते हैं। खेतों में खड़े पानी में धान उगा लेते हैं। पानी उतर रहा है तो मक्का उपजा लेते हैं। जमीन दलदली है तो केला लगाकर निश्चिंत हो जाते हैं। हां, जब कभी जान पर बन आए तो शासन-व्यवस्था को कोसते हैं। क्या करें, कोसी डुबो कर मार भी तो देती है। जान बख्श दे तो बीमार जरूर कर देती है। इसलिए लोग अपने नेताओं से शहरों के लिए सुरक्षा तटबंध, गांवों के लिए पुल-पुलिया और इलाज के लिए अस्पताल मांगते हैं। जहां अस्पताल हैं, वहां के लिए डॉक्टर मांगते हैं। जो उपजाते हैं, उससे कमाई अच्छी हो जाए, इसलिए फूड पार्क मांगते हैं। दुर्भाग्य, इनकी मांग इस चुनाव में मुद्दा नहीं है। किसी प्रत्याशी की जुबान पर नहीं आता कि कोसी और बागमती के कहर से आपको बचाने के बंदोबस्त किए जाएंगे। 

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नौ सीटों में पांच एनडीए के पास 
खगड़िया-भागलपुर की नौ सीटों में से अभी पांच जदयू के पास है तो तीन राजद और एक कांग्रेस के पास। यानी महागठबंधन के खाते में चार सीटें हैं। जदयू की पांच में से तीन सीटें खगड़िया में ही हैं। चौथी राजद के पास। जदयू इस दफे चारों सीटों पर किस्मत आजमा रही है। बेलदौर से पन्नालाल पटेल और खगड़िया से पूनम देवी यादव तो मैदान में फिर डटी ही हैं, परबत्ता में आरएन सिंह सत्ता हस्तांतरण की चाह रखते हैं। इस बार पुत्र को मैदान में उतारा है। अलौली सुरक्षित में राजद ने उम्मीदवार बदल दिया है। जदयू यहां भी मैदान में है। 

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भाजपा भागलपुर के मैदान में है। शहरी सीट पर नया चेहरा कमल खिलाना चाहता है। बिहपुर में पत्नी की जगह बुलो मंडल खुद मैदान में उतर गए हैं। सांसदी छूटी तो विधायकी फिर से करने की चाहत है। चुनौती भाजपा से है। नाथनगर में जदयू ने लक्ष्मीकांत मंडल पर फिर भरोसा जताया है। टक्कर दे रहे हैं राजद के सिद्दिकी साहब। पीरपैंती में टक्कर राजद और भाजपा के बीच है। भागलपुर के चुनावी रण में लोजपा बड़े फैक्टर के रूप में सामने है। एनडीए और महागठबंधन दोनों के चेहरे पर चिंता की लकीरें लोजपा के नाम की ही हैं। भागलपुर शहर, नाथनगर, गोपालपुर में लोजपा दम दिख रही। पीरपैंती और बिहपुर में चिराग पासवान ने भाजपा से किया एकतरफा वादा निभाया, जिसे भागलपुर शहर में तोड़ दिया। यहां भाजपा के खिलाफ युवा राजेश वर्मा को खड़ा कर दिया है। अजित और रोहित दोनों को बंगला निशान नापसंद आ रहा है। 

 
सीटों का हिसाब 
कुल सीटें 09 
भागलपुर, नाथनगर, पीरपैंती, बिहपुर, गोपालपुर, खगड़िया, परबत्ता, चौथम और अलौली। 

जदयू  05 (भागलपुर में 02) 
राजद 03 (खगड़िया में 01) 
कांग्रेस 01  

 
मुद्दे, जिस पर बात हो रही 
अमन-शांति, सामाजिक सौहार्द, हर घर नल-जल, नशामुक्त समाज, जलजमाव से मुक्ति, शहरों में बाइपास आदि। 

मुद्दे, जो अछूते रह गए 
कटाव निरोधी उपाय, बाढ़ से विस्थापितों का पुनर्वास, मेगा फूड पार्क, अस्पतालों में डॉक्टर, प्रखंड का दर्जा आदि।
 

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