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बिहार विधानसभा चुनाव में तेजी से बदले मुद्दे, कश्मीर और राम मंदिर को भुनाने की कोशिश में बीजेपी

बिहार में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया है। तीन नंवबर को वोटिंग होगी। पहले चरण के बाद बिहार चुनाव प्रचार में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने और अयोध्या में राम...

बिहार विधानसभा चुनाव में तेजी से बदले मुद्दे, कश्मीर और राम मंदिर को भुनाने की कोशिश में बीजेपी
स्मृति काक रामचंद्रन, हिंदुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली।Mon, 02 Nov 2020 11:21 AM
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बिहार में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया है। तीन नंवबर को वोटिंग होगी। पहले चरण के बाद बिहार चुनाव प्रचार में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे ने एंट्री मार ली है। जनता दल (यूनाइटेड) के साथ बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इन मुद्दों को बड़े ही आक्रमक ढंग से जनता के बीच ले जा रही है।

1300 किलोमीटर की दूरी पर होते हुए भी बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर को बिहार से जोड़ने का एक तरीका खोज निकाला है। चुनावी रैलियों में सैनिकों की वीरता का जिक्र किया जाता है। लगे हाथ कश्मीर से अनुच्छेद-370 का समाप्ति का जिक्र भी होती है।

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छपरा में एक रैली के दौरान कहा कि पाकिस्तानी मंत्री फवाद चौधरी का दावा है कि फरवरी 2019 में पुलवामा हमले को अंजाम दिया था। उन्होंने कहा कि इस रहस्योद्घाटन ने भारत में उन लोगों के चेहरों की हंसी छीन ली, जिन्होंने कभी "बिहार के बेटों" की परवाह नहीं की। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसने बिहार के बेटों पर शक करने वालों को बेनकाब किया। 

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23 अक्टूबर को बिहार में अपनी पहली चुनावी रैली में, पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग को बिहार के सैनिकों के अपमान के रूप में माना था, जो पूर्वी लद्दाख की गैलवान घाटी में लड़े थे।

इससे पहले इन मुद्दों को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और कई नेताओं द्वारा दिए गए भाषणों में चतुराई से बुना गया था। उन्होंने मतदाताओं को यह याद दिलाने के लिए इन मुद्दों को चुना कि पार्टी ने अपना वादा कैसे निभाया। बीजेपी ने राम मंदिर के मुद्दे से बिहार में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लड़ने वाले सैनिकों की भावना को भड़काकर समर्थन हासिल करना चाहती है।

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विपक्ष का कहना है कि राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर के संदर्भ भाजपा द्वारा हिंदू वोटों के साथ छेड़छाड़ करने और स्थानीय मुद्दों से ध्यान हटाने के प्रयास हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने कहा, "इनका इस्तेमाल राज्य में वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है।"

हालांकि, बीजेपी ने कहा कि उसने जो वादे किए हैं, उनका उल्लेख करना उनका अधिकार है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा, “भाजपा राष्ट्रवाद, विकास, विचारधारा और भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण के मुद्दों पर चुनाव लड़ती है। हमारी विचारधारा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और भविष्य के दृष्टिकोण के साथ एक समग्र तरीके से प्रचार किया जाता है।''

राजनीतिक टिप्पणीकार अजय कुमार झा ने कहा कि पीएम और पार्टी के पास मुद्दों को लाने का कारण हैं। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के संदर्भों के बारे में उन्होंने कहा, “जो कुछ भी देश को प्रभावित करता है वह बिहार में भी कर सकता है। एक छोटा सा प्रतिशत भी चुनाव को स्विंग कर सकता है।”

यह पहली बार नहीं है कि पार्टी ने राष्ट्रीय मुद्दों की तख्ती पर स्थानीय चुनाव लड़ने के लिए चुना है। यह पिछले साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनावों के दौरान राम मंदिर के मुद्दे और संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर निर्भर था। भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की मदद से हरियाणा में सरकार बनाई। झारखंड में पार्टी चुनाव हार गई।

महाराष्ट्र में अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से एक शिवसेना के साथ शक्ति-साझाकरण समझौते तक पहुंचने में विफल रही और विपक्ष की भूमिका निभा रही है। 

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