बिक्रम विधानसभा सीट: 1967 में कांग्रेस का वर्चस्व टूटा, फिर 2015 में मिली संजीवनी
पटना के बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में 1967 चुनाव के बाद कांग्रेस का वर्चस्व टूट गया। उसके बाद यहां ज्यादातर चुनावों में कभी लाल तो कभी भगवा ध्वज फहराता रहा। पिछला चुनाव यानी 2015 में बिक्रम में कब्जा...
पटना के बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में 1967 चुनाव के बाद कांग्रेस का वर्चस्व टूट गया। उसके बाद यहां ज्यादातर चुनावों में कभी लाल तो कभी भगवा ध्वज फहराता रहा। पिछला चुनाव यानी 2015 में बिक्रम में कब्जा के बाद कांग्रेसियों को जिले में संजीवनी मिली थी।
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ सिंह ने भाजपा के अनिल कुमार को रिकॉर्ड वोटों से पराजित किया था। सिद्धार्थ सिंह को 94088 मत, जबकि अनिल कुमार को 49777 मत प्राप्त हुए थे। सिद्धार्थ सिंह लगभग 44 हजार मतों के अंतर से जीते। इस साल होने वाले चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच घमासान की पुरजोर तैयारी चल रही है। महागठबंधन की ओर से वर्तमान विधायक सिद्धार्थ सिंह को कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलना तय माना जा रहा है।
वहीं भाजपा की ओर से पूर्व विधायक अनिल कुमार टिकट के लिए जोर लगाए हुए हैं, लेकिन पालीगंज के आरजेडी विधायक जयवर्द्धन यादव उर्फ बच्चा यादव के जदयू में शामिल होने के बाद उन्हें पालीगंज से पार्टी द्वारा चुनाव लड़ने की चर्चा से भाजपा के दो दिग्गज नेता पूर्व विधायक रामजन्म शर्मा और डॉ. उषा विधार्थी बिक्रम विधानसभा क्षेत्र से पार्टी की उम्मीदवारी का दावा ठोक सकते हैं। पिछले चुनाव में रामजन्म शर्मा पालीगंज से भाजपा प्रत्याशी थे, जबकि उषा विद्यार्थी पालीगंज से एक बार विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं।
20 वर्षों से उद्घाटन की बाट जोह रहा बिक्रम का ट्रॉमा सेंटर
वैसे तो बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं का अंबार है। परंतु इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख मुद्दा है, दो दशक पूर्व बना बिक्रम ट्रॉमा सेंटर का अबतक उद्घाटन न होना है। इस मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार आंदोलन भी किया है। इसके अलावा बिक्रम का ऐतिहासिक गांधी आश्रम, जिला परिषद का डाकबंगला, त्रिभुवन पुस्तकालय का आजतक जीर्णोद्धार नहीं हो सका है। पटना के सोन कैनाल में खेती के समय पानी नहीं मिलना किसानों की प्रमुख समस्या है। इसके लिए अरवल या फिर वलिदाद लख के पास डैम बनाने की मांग की जाती रही है।
कौन कब जीते
1957 मनोरमा देवी कांग्रेस
1962 मनोरमा देवी कांग्रेस
1967 महावीर गोप कांग्रेस
1969 खदेरन सिंह भारतीय क्रांति दल
1972 खदेरन सिंह संगठन कांग्रेस
1977 कैलाशपति मिश्र जनता पार्टी
1980 रामनाथ यादव भाकपा
1985 रामनाथ यादव भाकपा
1990 रामनाथ यादव भाकपा
1995 रामनाथ यादव भाकपा
2000 रामजन्म शर्मा भाजपा
2005 अनिल कुमार लोजपा
2005 अनिल कुमार भाजपा
2010 अनिल कुमार भाजपा
2015 सिद्धार्थ सिंह कांग्रेस
1957 में बना था बिक्रम विधानसभा क्षेत्र, मनोरमा देवी पहली विधायक
वर्ष 1957 में बिक्रम विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ था। प्रथम चुनाव 1952 में यह बिहटा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा था। 1957 व 1962 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी मनोरमा देवी विजयी हुई थीं। उसके बाद 1967 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर पुन: कांग्रेस प्रत्याशी महावीर गोप ने जीत दर्ज की थी। 1969 और 1972 के विधानसभा चुनाव में क्रमश: खदेरन सिंह भारतीय क्रांति दल व संगठन कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे।
1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर दिग्गज नेता कैलाशपति मिश्र चुनाव जीते और प्रदेश में वित्त मंत्री का पद संभाला था। 1980 के चुनाव में वे भाकपा प्रत्याशी रामनाथ यादव से चुनाव हार गए थे और तीसरे स्थान पर रहे थे। रामनाथ यादव बिक्रम विधानसभा सीट पर 1980 से लेकर1995 तक लगातार चार बार चुनाव जीते। 2000 में भाजपा प्रत्याशी रामजन्म शर्मा इस सीट पर भारी बहुमत से चुनाव जीते। जिन्हें 2005 के चुनाव में लोजपा प्रत्याशी के रूप में अनिल कुमार ने हराया। बाद में अनिल कुमार ने भाजपा का दामन थाम लिया। और दो बार पुन: उन्होंने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया।